Ajmer ke meyar ko ab aayuktt ki mansaa par sandeh . Food cootr prakraad me Nigam ke aexian par mili bhagat ka aroop .afsar karte hai bhead caal se kaam , ayouktt ka aroopo se inkaar


अजमेर के मेयर को अब आयुक्त की मंशा पर संदेह। 
फूड कोर्ट प्रकरण में निगम के एक्सईएन पर मिली भगत का आरोप।
अफसर करते हंै भेड़ चाल से काम।
आयुक्त का आरोपों से इनकार।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांशी स्मार्ट सिटी योजना में केंद्र सरकार की हृदय योजना के अंतर्गत अजमेर की आना सागर झील के किनारे लव कुश गार्डन में तैयार किए गए लेक व्यू फूड कोर्ट को लेकर मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल की मंशा पर ही सवाल उठाया है। मेयर ने 21 अगस्त को निगम की नोट शीट पर लिखा है कि फूड कोर्ट से जुड़ी महत्वपूर्ण पत्रावली दो माह से आयुक्त चिन्मयी गोपाल के पास पड़ी रही और बगैर किसी निर्णय के मेरे पास भेज दी। जबकि फूड कोर्ट के सफल ठेकेदार दीपक जैन ने कोर्ट की सुपुर्दगी लेने से पहले ही मौके पर पक्के कियोस्क बना लिए। यह अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है। ठेकेदार द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने के संबंध में पूर्व में भी लिखा गया था, लेकिन कोई कार्रवाइ नहीं हुई। दो माह तक पत्रावली का निस्तारण न करना आयुक्त की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है तथा मंशा को संदेह के घेरे में भी लाता है। मेयर ने आयुक्त को निर्देश दिए की फूड कोर्ट परिसर में जो भी अतिक्रमण, अवैध निर्माण आदि हुआ है उसे तुरंत प्रभाव से ध्वस्त किया जा।  इस नोट शीट पर मेयर ने लिखा है कि फूड कोर्ट के भू-तल को खुला रखा जाना था, ताकि आम लोग उपयोग कर सकें, लेकिन निगम के एक्सईएन ओम प्रकाश ढींढवाल  ने मिली भगत कर ठेकेदार को अस्थाई काम करने की मंजूरी दे दी। इसके लिए ओमप्रकाश ने अनुबंध की 34 नंबर की शर्त की भी गलत व्याख्या की। शर्त में साफ लिखा है कि ठेकेदार अपने स्तर पर निर्माण कार्य, रद्दोबदल आदि नहीं कर सकता। इस शर्त को लेकर ही 07-09-2018 को संशोधन भी जारी किया जिसमें प्रथम तल पर नियंत्रण प्रवेश द्वार तथा परिसर को वातानुकूलित करने, धूप,  वर्षा से बचाने के लिए अस्थाई कार्य पर सहमति दी गई। लेकिन एक्सईएन ओमप्रकाश ने 22 जनवरी 2019 को अनेक रियायतें ठेकेदार को दे दीं। ओम प्रकाश ने यह सहमति अपने कर्तव्य से परे जाकर की है जो नियमनुसार भी नहीं है। आयुक्त को लिखे नोट में मेयर ने कहा है कि पैरा संख्या 61, 62, 63 तथा 64 में निगम के अधिकारी, अन्य उपयुक्त अखिलेश कुमार पीपल ने पत्रावली का अवलोकन नहीं किया तथा भेड़ चाल करते हुए एक्सईएन की टिप्पणी पर ही अपनी अनुशंसा कर दी।
आयुक्त जवाब दे:
मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने आयुक्त को लिखे नोट पर सहमति जताते हुए कहा कि मैंने फूड कोर्ट से संबंधित फाइल का विस्तृत अवलोकन किया है और तभी अपनी राय प्रकट की है। अब आयुक्त को जवाब देना चाहिए कि उनके दफ्तर में दो माह तक फाइल क्यों पड़ी रहती है? दो माह में भी फाइल पर निर्णय न होना खेदजनक है। कोर्ट का निर्माण सिर्फ कमाने के लिए नहीं किया है, यह शहर वासियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध रहेगा। लोग यहां खड़े होकर आना सागर के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकते हैं। शर्तों का उल्लंघन कर मौके पर निर्माण करवाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। मैंने तो 15 दिन पहले भी अतिक्रमण हटाने के लिए आयुक्त को निर्देश दिए थे।
शर्तो के अनुरूप ही सुपुर्दगी होगी-आयुक्त:
वहीं निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल ने कहा है कि संबंधित ठेकेदार को अनुबंध की शर्तों के अनुरुप सुपुर्दगी दी जाएगी। फूड कोर्ट परिसर में अतिक्रमण और अस्थायी कार्य की शिकायत मिली थी। निगम ठेकेदार को नोटिस भी दिया है। मेरी जानकारी में लाया गया है कि काफी अतिक्रमण हटा लिया गया है। मैंने आज ही आदेश दिए है कि अगले 24 घंटे में  अतिक्रमण अथवा अस्थायी कार्ये को हटा लिया जावे। फूड कोर्ट  के मामले में नियम अनुसार कार्रवाई हो रही है। फाइल कितने दिनों तक पढ़ी रही यह विभागीय कार्य और बातें हैं। मैं अपना कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हूं।
शर्त के अनुरूप टिप्पणी-ओमप्रकाश:
फूड कोर्ट के विवाद के संबंध में निगम के ओम प्रकाश ने कहा है कि अनुबंध शर्तों के अनुरूप ही मैंने पत्रावली पर अपनी राय दी है,जहां तक ठेकेदार दीपक जैन द्वारा मौके पर अतिक्रमण और अस्थाई कार्य करने का मामला है तो मैंने ही तोडऩे की आदेश दिए हैं मेरी मिलीभगती  होती तो मैं ही क्यों तुड़वाता। अगले 24 घंटे में मौके पर से सभी अतिक्रमण और अवैध अस्थाई निर्माण हटा दिया जाएगा, इस संबंध में ठेकेदार को पाबंद कर दिया गया है। ठेकेदार ने अभी तक जो अस्थाई निर्माण किया उसे तेजी के साथ हटा लिया है। 


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