Narendra modi or amitsaah or bhajpaa ki safalta me aruad jetlee ka jabardasht yogdaan raha . Pm modi kavidesh doaraa yathaavat , bhajpaa ke reshtiye mahaa sachhiyou bhupendra yadav be bataai vektiygat chhati


नरेन्द्र मोदी और अमितशाह और भाजपा की सफलता में अरुण जेटली का जबर्दस्त योगदान रहा। प्रधानमंत्री मोदी का विदेश दौरा यथावत। 
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने बताई व्यक्तिगत क्षति। 
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24 अगस्त को पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली का 67 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। जेटली कैंसर रोग से पीडि़त थे। तय कार्यक्रम के अनुसार जेटली का पार्थिव शरीर 25 अगस्त की सुबह दस बजे तक दिल्ली स्थित उनके निवास पर रखा जाएगा और फिर आमलोगों के दर्शनार्थ पार्थिव देह को भाजपा के मुख्यालय में रखा जाएगा। दोपहर डेढ़ बजे निगमबोध श्मशासन स्थल पर अंतिम संस्कार होगा। जेटली भाजपा के नेता ही नहीं थे, बल्कि आज देश को जो एकजुटता वाला स्वरूप है उसमें जेटली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पूरा देश जानता है कि नरेन्द्र मोदी और अमितशाह को गुजरात में ही कुचलने के लिए तत्कालीन केन्द्र सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अमितशाह को गुजरात का गृहमंत्री होते हुए गिरफ्तार कर तीन माह जेल की हवा खिलाई और तड़ीपार कर गुजरात से बाहर भिजवा दिया। इतना ही नहीं तब के गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को अमरीका से ब्लैक लिस्ट करवा कर मुस्लिम विरोधी घोषित करवा दिया। गुजरात का सीएम रहते हुए मोदी ने कहा था कि अमितशाह को इसलिए गिरफ्तार किया है ताकि मुझे भी पकड़ा जा सके। जब नरेन्द्र मोदी और अमितशाह को कुचलने का काम हो रहा था, तब सुप्रीम कोर्ट के वकील के नाते अरुण जेटली ने जबर्दस्त सहयोग किया। कल्पना कीजिए कि तब केन्द्र सरकार मोदी और शाह को कुचलने में सफल हो जाती तो क्या आज देश का ऐसा मजबूत स्वरूप होगा? आज तो भाजपा भी कह सकती है कि लोकसभा में 303 सांसद हैं और 545 में से 350 से भी ज्यादा सांसदों का समर्थन हासिल हैं। जहां मोदी ने विश्व जगत में भारत की अलग पहचान बनाई, वहीं अमितशाह ने गृहमंत्री के तौर पर कश्मीर की 70 वर्ष की समस्या का एक झटके में समाधान करवा दिया। यूं तो इस संसार में जो आता है उसे एक दिन जाना ही होता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें मृत्यु के बाद भी याद किया जाता है। ऐसे व्यक्तियों में अरुण जेटली भी हैं। कोई चाहे किसी भी नजरिए से श्रद्धांजलि दें, लेकिन मेरा मानना है कि यदि देश की राजनीति में जेटली की भूमिका नहीं होती तो आज देश का ऐसा मजबूत स्वरूप नहीं होता। यह अच्छी बात है कि नरेन्द्र मोदी और अमितशाह दोनों ही अरुण जेटली के सहयोग, योगदान और मदद को स्वीकार करते हैं। आज तो वित्त मंत्री की कुर्सी पर बैठ कर कोई भी मंत्री अपनी पीठ थपथपा सकता है, लेकिन जेटली तब वित्त मंत्री रहे, जब नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का बड़ा फैसला लिया। तब भी यदि अरुण जेटली जैसा वित्त मंत्री नहीं होता तो नरेन्द्र मोदी के लिए मुश्किल होती। 
पीएम का विदेश दौरा यथावत:
24 अगस्त को दोपहर जब अरुण जेटली, का निधन हुआ तब पीएम मोदी यूएई के दौरे पर थे। सूचना मिलते ही मोदी ने फोन पर जेटली की पत्नी श्रीमती संगीता जेटली से बात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। इस संवाद में श्रीमती जेटली ने मोदी से आग्रह किया कि वे विदेश दौरान बीच में छोड़ कर भारत न आएं। श्रीमती जेटली के आग्रह के बाद ही मोदी ने अपना विदेश दौरान यथावत रखने का निर्णय लिया। मोदी फ्रांस के दौरे के बाद 23 अगस्त को ही यूएई पहुंचे। उन्हें यूएई के सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा जा रहा है। मोदी जी-7 सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इस सम्मेन में ही मोदी की मुलाकात अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी होनी है। कश्मीर मुद्दे पर इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 
व्यक्तिगत क्षति-यादव:
जेटली के निधन पर राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने भी शोक व्यक्त किया है। यादव ने कहा कि जेटली जी का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति हैं। उन्होंने लम्बे अर्से तक जेटली जी के साथ सुप्रीम कोर्ट में वकालत का काम किया और फिर उन्हें राजनीति में भी जेटली जी का साथ मिला। वकालत और राजनीति के गुर जेटली जी ने ही उन्हें सिखाए। जेटली  अपने सहयोगियों का हमेशा ख्याल रखते थे। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे जेटली जी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ के साथ कम करने का अवसर मिला है। जेटली जी ने देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जेटली जी के निधन से देश की राजनीति में जो रिक्तता आई है उसे भरना बहुत मुश्किल होगा। जेटली जी का निधन से भाजपा और सरकार को भी क्षति पहुंची है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके परिवार को इस दु:ख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें। 


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