Jamukashmir se anuchchedan 370 ko prabhavhin Karne ke faysale ko you ne Bharat ka anadruni mamlaa manaa hai


370 में बदलाव पर यूएन में भी पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला। 
यह मोदी सरकार की कूटनीति की जीत है।
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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद बिलबिलाए पाकिस्तान ने 16 अगस्त  की रात से ही चीन की मदद से मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) में उठाया। यूएन की एक बैठक में पांच स्थायी और 10 अस्थायी देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। लेकिन पाकिस्तान को सिर्फ चीन का ही समर्थन मिला। यानि पांच में से चार स्थायी तथा 10 अस्थायी देशों का समर्थन नहीं मिला। रूस, फ्रांस जैसे स्थायी देशों के प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है। इसमें यूएन की कोई भूमिका नहीं है। चूंकि बैठक में समर्थन नहीं मिला, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की बुरी हार हुई है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन की वजह  से कुछ देशों का समर्थन मिलेगा, लेकिन चीन के दबाव के बाद पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला। यानि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को प्रभावहीन करने के फैसले को यूएन ने भारत का अंदरूनी मामला माना है। मालूम हो कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह कुरैशी पहले ही कह चुके थे कि पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्रों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। भारत में जो राजनीतिक दल 370 के पक्ष में है उन्हें यूएन की ताजा कार्यवाही से सबक लेना चाहिए। सवाल उठता है कि जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ही भारत के पक्ष में खड़ा है, तब कांग्रेस, वामपंथी, टीएमसी दलों के नेता 370 को हटाए जाने का विरोध क्यों कर रहे हैं? जबकि सब जानते है कि 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पनपा है। पाकिस्तान को घुसपैठ करने का मौका मिला। अब जब जड़ से ही समस्या का समाधान कर दिया गया है तो फिर विरोध किस बात का। इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान को समर्थन न मिलना, केन्द्र की मोदी सरकार की कूटनीति की जीत है। आज भारत का इतना दबदबा हो गया है कि कोई भी देश भारत के मुकाबले पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं होना चाहता। भारत के विरोधी दलों को चाहिए कि वे कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए मोदी सरकार का समर्थन करें। यदि विपक्षी दलों के नेताओं की बयानबाजी से कश्मीर के हालात बिगड़ते हैं तो देश के लिए घातक होगा। वैसे 17 अगस्त को जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा कि जम्मू में इंटरनेट सेवाएं शुरू की जा रही है तथा कश्मीर में लैंडलाइन फोन की सेवाओं को बहाल किया जा रहा है। जैसे जैसे हालात सामान्य होंगे वैसे वैसे कश्मीर घाटी में भी स्कूल कॉलेज खोल दिए जाएंगे। पाबंदियों में लगातार छूट दी जा रही है। 
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370 में बदलाव पर यूएन में भी पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला। 
यह मोदी सरकार की कूटनीति की जीत है।
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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद बिलबिलाए पाकिस्तान ने 16 अगस्त  की रात से ही चीन की मदद से मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) में उठाया। यूएन की एक बैठक में पांच स्थायी और 10 अस्थायी देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। लेकिन पाकिस्तान को सिर्फ चीन का ही समर्थन मिला। यानि पांच में से चार स्थायी तथा 10 अस्थायी देशों का समर्थन नहीं मिला। रूस, फ्रांस जैसे स्थायी देशों के प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है। इसमें यूएन की कोई भूमिका नहीं है। चूंकि बैठक में समर्थन नहीं मिला, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की बुरी हार हुई है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन की वजह  से कुछ देशों का समर्थन मिलेगा, लेकिन चीन के दबाव के बाद पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला। यानि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को प्रभावहीन करने के फैसले को यूएन ने भारत का अंदरूनी मामला माना है। मालूम हो कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह कुरैशी पहले ही कह चुके थे कि पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्रों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। भारत में जो राजनीतिक दल 370 के पक्ष में है उन्हें यूएन की ताजा कार्यवाही से सबक लेना चाहिए। सवाल उठता है कि जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ही भारत के पक्ष में खड़ा है, तब कांग्रेस, वामपंथी, टीएमसी दलों के नेता 370 को हटाए जाने का विरोध क्यों कर रहे हैं? जबकि सब जानते है कि 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पनपा है। पाकिस्तान को घुसपैठ करने का मौका मिला। अब जब जड़ से ही समस्या का समाधान कर दिया गया है तो फिर विरोध किस बात का। इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान को समर्थन न मिलना, केन्द्र की मोदी सरकार की कूटनीति की जीत है। आज भारत का इतना दबदबा हो गया है कि कोई भी देश भारत के मुकाबले पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं होना चाहता। भारत के विरोधी दलों को चाहिए कि वे कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए मोदी सरकार का समर्थन करें। यदि विपक्षी दलों के नेताओं की बयानबाजी से कश्मीर के हालात बिगड़ते हैं तो देश के लिए घातक होगा। वैसे 17 अगस्त को जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा कि जम्मू में इंटरनेट सेवाएं शुरू की जा रही है तथा कश्मीर में लैंडलाइन फोन की सेवाओं को बहाल किया जा रहा है। जैसे जैसे हालात सामान्य होंगे वैसे वैसे कश्मीर घाटी में भी स्कूल कॉलेज खोल दिए जाएंगे। पाबंदियों में लगातार छूट दी जा रही है। 


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