Kongresh or Rahul Gandhi ki es harkat se kashmeer mudde par Pakistan ko maadad melegi ,vipaksh dalo ke bade netaao ne nahi manaa Rahul ko apnaa netaa.


कांग्रेस और राहुल गांधी की इस हरकत से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को मदद मिलेगी। 
विपक्षी दलों के बड़े नेताओं ने नहीं माना राहुल को अपना नेता। 
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24 अगस्त को कांग्रेस और राहुल गांधी ने कुछ विपक्षी दलों के साथ मिलकर वो ही हरकत की जिससे अब कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को मदद मिलेगी। अब पाकिस्तान और उसके भिखारी व झूठे प्रधानमंत्री कह सकेंगे कि भारत में विपक्षी दलों के नेताओं को भी कश्मीर घाटी में जाने नहीं दिया जा रहा है। 24 अगस्त को राहुल गांधी के नेतृत्व में 8 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि दिल्ली से श्रीनगर तो पहुंचे, लेकिन जम्मू कश्मीर प्रशासन ने ऐसे सभी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से ही वापस दिल्ली भेज दिया। चूंकि विमान में टीवी चैनलों के कैमरों और रिपोर्टरों को भी साथ चलने की छूट दी गई, इसलिए विपक्षी दलों का यह सफर चैनलों पर छाया रहा। राहुल गांधी और विपक्षी दलों के नेता भी जानते हैं कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने और केन्द्र शासित बनाने के लिए जम्मू और लद्दाख में जश्न का माहौल हैं। चूंकि कश्मीर घाटी में एक तरफा माहौल है, इसलिए पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सक्रिय हैं। जिस घाटी में लम्बे अर्से से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते रहे उसे सुधरने में समय तो लगेगा ही। यदि जम्मू और लद्दाख की तरह कश्मीर में भी मुसलमानों के साथ हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं तो आज यह स्थिति नहीं होती। राहुल गांधी और कुछ विपक्षी दलों के नेता आज कश्मीर घाटी में लगी पाबंदियों को मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, लेकिन ऐसे नेता तब कहां गए थे, जब घाटी में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे थे। तब न केवल हिन्दू परिवारों को कश्मीर से भगाया गया, बल्कि महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार भी हुआ। आज जब कश्मीर घाटी को पाकिस्तान के चंगुल से बाहर निकाला जा रहा है तो कांग्रेस और कुछ विपक्षी बिलबिला रहे हैं। कश्मीर मु्ददे पर पाकिस्तान को विश्व के एक भी मुस्लिम राष्ट्र का समर्थन नहीं मिला है, लेकिन हमारे ही देश में कांग्रेस और कुछ दल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। हालांकि राजनीतिक स्थिति से ऐसे दलों का कोई वजूद नहीं रहा है। 545 सांसदों में से कांग्रेस के मात्र 52 सांसद हैं। राहुल गांधी खुद अमेठी से चुनाव हार चुके हैं। 
राहुल गांधी के साथ बड़े नेता नहीं:
24 अगस्त को राहुल गांधी के साथ जिन विपक्षी नेताओं ने दिल्ली श्रीनगर के बीच सफर किया, उनमें डीएमके के ही शिवा, जेडीएस के कुपेन्द्र रेड्डी, आरजेडी के मनोज झा, जेएमसी के दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी के माजिर मेनन, सीपीएम के सीताराम येचुरी, एलजेपी के शरद यादव, सीपीएम के डी राजा तथा कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा आदि शामिल थे। यानि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पाटी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी पार्टियां तो शामिल ही नहीं हुई। वहीं शामिल होने वाली पार्टियों के बड़े नेता शामिल नहीं हुए।  शरद पंवार, ममता बनर्जी जैसे नेता तो दूर ही रहे, लेकिन आरजेडी के तेजस्वी यादव ने भी राहुल को अपना नेता नहीं माना। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद खुद राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ चुके हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोडऩे के बाद 24 अगस्त को दिल्ली श्रीनगर के सफर वाली राहुल गांधी की पहली बड़ी राजनीतिक सक्रियता थी, लेकिन देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं ने  राहुल गांधी से दूरी बनाए रखी। यही वजह रही कि विमान में सवार होने पर राहुल के चेहरे पर उत्साह नहीं था। बल्कि विमान में बैठे हुए भी राहुल मोबाइल पर व्यस्त रहे। 


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