Modi Raj me Mandi ki maar din vaa praatdin tej hoti jaa Rahi hai karodoo logo ki nookri ja chuki hai ya ja Rahi hai sarkaar bash Pakistan or Muslim me mast hai

मोदी राज में मंदी की मार दिन ब दिन तेज होती जा रही है. करोड़ों लोगों की नौकरी जा चुकी है या जा रही है. केंद्र सरकार बस पाकिस्तान और मुसलमान में मस्त है या फिर कांग्रेस के नेताओं को निपटाने में जुटी है. अर्थव्यवस्था पर ध्यान न देने और कई गलत आर्थिक फैसलों के चलते पूरी इकोनामी मंदी-सुस्ती की तरफ बढ़ चली है. लोगों में खरीदने की क्षमता तेजी से गिरने लगी है जिससे आटोमोबाइल, टेक्सटाइल समेत कई सेक्टर भयंकर मंदी की चपेट में आ गए हैं. ताजी डरावने वाली खबर बिस्किट कंपनी पारले-जी की तरफ से आई है.पारले-जी बिस्किट कंपनी प्रबंधन ने मंदी की मार और कम बिक्री को देखते हुए अपने यहां से 10 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर ली है. कंपनी की तरफ से कह दिया गया कि बिस्किट की खपत में ऐसे ही गिरावट आती रही तो आने वाले समय में कर्मचारियों को निकालना पड़ सकता है. पारले-जी कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा सरकार से 100 रुपये किलो से कम में बिकने वाले बिस्किट पर टैक्स कम करने की गुजारिश की थी. इन बिस्किट की बाजार में 5 रुपये या इससे कम के पैकेट में बिक्री की जाती है. बिक्री लगातार गिरने से भारी नुकसान हो रहा है. यदि सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो कंपनी के पास छंटनी का ही रास्ता बचेगा. मयंक शाह का कहना है कि खपत घटने से रिटेलर्स भी सामान लेने से हिचक रहे हैं.


 


 


ज्ञात हो कि पारले जी में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. कंपनी के कई शहरों में कुल 10 प्लांट हैं और सालाना बिक्री दस हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की है. कंपनी 125 थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी ऑपरेट करती हैं. पारले जी की आधे से ज्यादा बिक्री ग्रामीण बाजारों में होती है. कंपनी के पार्ले-जी, मोनाको और मारी बिस्किट काफी बिकते हैं.


उधर, नुस्ली वाडिया की बिस्किट और डेयरी प्रॉडक्ट्स कंपनी ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वरुण बेरी ने पिछले हफ्ते कहा था कि ग्राहक 5 रुपये के बिस्किट पैकेट भी खरीदने में सोच रहे हैं. वे 5 रुपये के प्रॉडक्ट्स खरीदने से पहले दो बार सोच रहे हैं. इससे वित्तीय समस्या की गंभीरता का पता चलता है. ब्रिटानिया का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 3.5 पर्सेंट घट गया है.


उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने से पहले 100 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले बिस्किट पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता था. कंपनी को उम्मीद थी कि जीएसटी आने के बाद टैक्स घटकर 5 प्रतिशत रह जाएगा. लेकिन सरकार ने इसे 18 प्रतिशत वाले टैक्स में कंपनी को पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है.


पत्रकार Soumitra Roy इस बाबत फेसबुक पर लिखते हैं-


”आज की शाम जब आप चाय की चुस्कियों के साथ पारले बिस्कुट खा रहे होंगे तो आपको उन 10 हजार कर्मचारियों को याद करना चाहिए, जिनकी नौकरी जल्द ही चली जाएगी। देश धीरे-धीरे बेरोजगारों की एक बड़ी फौज खड़ी कर रहा है। पारले कंपनी ने ऐलान कर दिया है कि 2017 में जीएसटी लगाए जाने का असर बिक्री पर पड़ा है। कंपनी में एक लाख कर्मचारी काम करते हैं। पारले के बिस्कुट गरीब लोग खाते हैं। गांवों में इनकी काफी बिक्री होती है। 5 और 10 रुपए के पारले बिस्कुट खाकर कितने बच्चों की पेट की आग बुझती होगी, यह कॉफी में ओरियो डुबाकर खाने वाले नहीं जान सकते। कंपनी ने पहले तो दाम बढ़ाने की जगह पैकेट में बिस्कुट कम कर दिए, यानी पेट पर लात पड़ी। फिर पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली से गुहार लगाई। फिलहाल जेटली जी खुद वेंटिलेटर पर हैं। वही अर्थव्यवस्था भी वेंटिलेटर पर जाती दिख रही है।”


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