Rajesthan me gurjer samudaye ko aarachad dilwane ka lalech

राजस्थान में गुर्जर समुदाय को आरक्षण का लाभ दिलवाने में गंभीर नहीं है कांग्रेस की गहलोत सरकार। डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित आठ गुर्जर विधायक भी चुप। गुर्जरों में रोष। 20 अगस्त को हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई। 
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गुर्जर आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह का आरोप है कि गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत का विशेष आरक्षण दिलवाने में राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार गंभीर नहीं हैै। इससे गुर्जर समुदाय में रोष बढ़ता जा रहा है। हालांकि सरकार ने गत फरवरी माह में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। अब इस मामले में 20 अगस्त को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट से कोई प्रतिकूल फैसला आए, इसकी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार अदालत में वो सभी तर्क रखे, जिसके अंतर्गत पांच प्रतिशत आरक्षण मिलना जरूरी है। कर्नल बैंसला ने कहा कि किन्हीं कारणों से यदि कोर्ट से फैसला प्रतिकूल आता है तो गुर्जर समुदाय के रोष को संभालना मुश्किल होगा। सरकार ने जिस भावना से विधानसभा में बिल स्वीकृत करवाया है, उसी भावना से अब कोर्ट में पक्ष रखना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही कर्नल बैसला ने सरकार की नीयत पर शक भी जताया। संघर्ष समिति के साथ जो समझौता हुआ, उसमें भर्तियों का बैकलॉक पूरा करने, सभी मुकदमें वापस लेने और तीन विधवाओं को मुआवजा देने जैसे वायदे भी थे, लेकिन अब सरकार इन वायदों को पूरा करने में रूचि नहीं दिखा रही है। बैकलॉक को भरा नहीं जा रहा तो एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया है। मुआवजे के लिए समाज की विधावाएं आज भी चक्कर काट रही हैं। जब सरकार पांच प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है तो फिर दूसरे वायदे पूरे क्यों नहीं किए जा रहे। कहीं सरकार हाईकोर्ट के प्रतिकूल फैसले का तो इंतजार नहीं कर रही? जब केन्द्र सरकार सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को दस प्रतिशत आरक्षण अलग से दे सकती है तो फिर गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं मिल सका। देश के कई राज्य है जहां पचास प्रतिशत आरक्षण के बाद जरूरतमंद जातियों को आरक्षण दिया गया हैै। 
पायलट सहित गुर्जर विधायक चुप:
जब विधानसभा से बिल स्वीकृत हुआ तब गुर्जरों को आरक्षण दिलवाने का श्रेय डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने लिया, लेकिन अब पायलट और कांग्रेस के आठ गुर्जर विधायक चुप है। क्या इन गुर्जर विधायकों का दायित्व बैकलॉक भरवाने, मुकदमे वापस करवाने, विधावाओं को मुआवजा दिलवाने का नहीं है? जब ये विधायक गुर्जरों के वोट से सत्ता का सुख भोगते है तो फिर अपने समाज की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं करते? गुर्जर समुदाय के सरकार में आठ विधायक हैं, यदि अब भी आंदोलन करना पड़ेगा तो फिर इनके रहने का क्या फायदा है? कर्नल बैंसला ने कहा कि सरकार को गुर्जरों की समस्याओं का गंभीरता के साथ समाधान करना चाहिए।
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गुर्जर आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह का आरोप है कि गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत का विशेष आरक्षण दिलवाने में राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार गंभीर नहीं हैै। इससे गुर्जर समुदाय में रोष बढ़ता जा रहा है। हालांकि सरकार ने गत फरवरी माह में पांच प्रतिशत आरक्षण देने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। अब इस मामले में 20 अगस्त को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट से कोई प्रतिकूल फैसला आए, इसकी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार अदालत में वो सभी तर्क रखे, जिसके अंतर्गत पांच प्रतिशत आरक्षण मिलना जरूरी है। कर्नल बैंसला ने कहा कि किन्हीं कारणों से यदि कोर्ट से फैसला प्रतिकूल आता है तो गुर्जर समुदाय के रोष को संभालना मुश्किल होगा। सरकार ने जिस भावना से विधानसभा में बिल स्वीकृत करवाया है, उसी भावना से अब कोर्ट में पक्ष रखना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही कर्नल बैसला ने सरकार की नीयत पर शक भी जताया। संघर्ष समिति के साथ जो समझौता हुआ, उसमें भर्तियों का बैकलॉक पूरा करने, सभी मुकदमें वापस लेने और तीन विधवाओं को मुआवजा देने जैसे वायदे भी थे, लेकिन अब सरकार इन वायदों को पूरा करने में रूचि नहीं दिखा रही है। बैकलॉक को भरा नहीं जा रहा तो एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया है। मुआवजे के लिए समाज की विधावाएं आज भी चक्कर काट रही हैं। जब सरकार पांच प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है तो फिर दूसरे वायदे पूरे क्यों नहीं किए जा रहे। कहीं सरकार हाईकोर्ट के प्रतिकूल फैसले का तो इंतजार नहीं कर रही? जब केन्द्र सरकार सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को दस प्रतिशत आरक्षण अलग से दे सकती है तो फिर गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं मिल सका। देश के कई राज्य है जहां पचास प्रतिशत आरक्षण के बाद जरूरतमंद जातियों को आरक्षण दिया गया हैै। 
पायलट सहित गुर्जर विधायक चुप:
जब विधानसभा से बिल स्वीकृत हुआ तब गुर्जरों को आरक्षण दिलवाने का श्रेय डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने लिया, लेकिन अब पायलट और कांग्रेस के आठ गुर्जर विधायक चुप है। क्या इन गुर्जर विधायकों का दायित्व बैकलॉक भरवाने, मुकदमे वापस करवाने, विधावाओं को मुआवजा दिलवाने का नहीं है? जब ये विधायक गुर्जरों के वोट से सत्ता का सुख भोगते है तो फिर अपने समाज की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं करते? गुर्जर समुदाय के सरकार में आठ विधायक हैं, यदि अब भी आंदोलन करना पड़ेगा तो फिर इनके रहने का क्या फायदा है? कर्नल बैंसला ने कहा कि सरकार को गुर्जरों की समस्याओं का गंभीरता के साथ समाधान करना चाहिए।