परिवार के बुजुर्गों को खुशी देने के लिए अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल में मनाया ग्रैंडपेरेंट्स डे।
दादा-दादी अपने पोते-पोतियों के साथ झूमे ।
२२ सितम्बर को अजमेर के केसरगंज स्थित सेंट एंसलम सीनियर हायर सैकंडरी स्कूल में ग्रैंडपेरेंटस डे मनाया गया। तीन हजार से भी ज्यादा छात्र छात्राओं वाले अंग्रेजी माध्यम के इस स्कूल में ५ वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के दादा-दादी अथवा नाना-नानी को आमंत्रित किया गया। २२ सितम्बर की शाम को बुुजुर्गों को सम्मान देने वाले इस कार्यक्रम में एक हजार से भी ज्यादा दादा-दादी, नाना-नानी उपस्थित थे। इस अनूठे समारोह का मुझे मुख्य अतिथि बनाया गया। मैं अक्सर सामाजिक सरोकारों पर लेखन करता रहा हंू, इसलिए मुझे स्कूल के प्राचार्य फादर सुसई मणिक्कम की यह पहल बहुत ही अच्छी लगी। इन दिनों जिस तरह से एकल परिवार का रिवाज बढ़ रहा है, उससे दादा-दादी और नाना-नानी जैसे पद वाले बुजुर्ग नागरिकों को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा। माता-पिता अपने एक या दो बच्चों में ही मस्त है। यही वजह रही कि २२ सितम्बर को एक हजार से भी ज्यादा दादा-दादी और नाना नानी अपने पोते-पोतियों, नाती-नातियों के साथ पूरे उत्साह में दिखे। बुजुर्गों को बहुत अच्छा लगा कि वे अपने पोते-पोतियों की अंगुली पकड़कर स्कूल आए हैं। अब तक वो स्कूल में होने वाले पेरेंट मिटिंग में सिर्फ माता-पिता को ही बुलाया जाता रहा। ग्रैंडपेरेंटस डे के बहाने बुजुर्गों ने भी एंसलम स्कूल को देख लिया। समारोह में अजमेर धर्म प्रांत के बिशप पायस थॉमस डिसूजा ने कहा कि जिन परिवारों में बुजुर्गों का सम्मान होता है उन्हें ईश्वर का घर माना जाता है। जीवन में सफलता मिलना ही सब कुछ नहीं हंै, ब्लकि नेक इंसान बनना जरूरी है। जो बच्चे अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते हैं उन्हें ईश्वर भी माफ नहीं करता है। कोई बुुजुर्ग अपने बच्चों के पैसे की इच्छा नहीं रखता। बुजुर्ग को परिवार में मान सम्मान मिलना चाहिए। स्कूल के प्राचार्य फादर सुसई मणिक्कम ने कहा कि बुजुर्ग तो इतिहास बनाने वाले हैं। बुजुर्ग को अच्छे दोस्त के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज इतने सारे बुजुर्ग को देखकर उन्हें बेहद खुशी हुई। मैं अब इस परंपरा को आगे भी जारी रखूंगा। समारोह में मेरा कहना रहा कि जिन परिवारों में बुजुर्गों का सम्मान होता है उन परिवारों पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है। सेंट एंसलम स्कूल ने बुजुर्गों को सम्मान देने की जो पहल की है, उसका अनुसरण सभी स्कूलों को करना चाहिए। इससे समाज में समरसता और परिवार में खुशियां होगी। समारोह में बच्चों ने अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और डांस भी किया। स्कूल प्रबंधन की ओर से सभी बुजुर्गों को उपहार दिए गए।