जालसाजों को बचाने में माहिर हैं उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ......

जालसाज़ों को बचाने में माहिर हैं उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी!!! 


उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों की सुनवाई में सरकारी भ्रष्टाचारियों के भ्रष्टाचार पर बड़ी खूबसूरती से पर्दा डालते हैं मिस्टर उस्मानी !!! जी हाँ,  बेशक निसंदेह पुख्ता तौर पर बताते चलें कि पूरी तरह से बेशर्मी का जामा पहन चुके उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने अपनी कारस्तानी भरी साजिशों की हदें इतनी पार कर दीं हैं कि बस पूछिए मत! जनाब जब से यादव सरकार की रहनुमाई में इस कुर्सी पर तिकड़म से कामिल-काबिज़ हुए हैं , तब से लेकर आज तक ये महाशय उस पूर्व सरकार की फर्ज अदायगी पूरी शिद्दत के साथ आंखों पर पावरफुल आईने की आंड़ में काली पट्टी बांधकर करते चले आ रहें हैं।सूचना आयोग का चप्पा-चप्पा उस्मानी साहब के फरमान के आगे थर्राता है। यही नहीं साहब जी भारतीय कानून को अपने ठेंगे पर रखने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। भारतीय संसद द्वारा पारित जन सूचना अधिकार अधिनियम-२००५ के तहत प्रावधानित नियमों-कानूनों की ऐसी की तैसी इस बेकदरी से करते चले आ रहें हैं कि बस पूछिए मत! उत्तर प्रदेश के लगभग सभी सरकारी-अर्धसरकारी गैर सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं के ( सहायता प्राप्त) जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों के हाथों सताए-रूलाए पीड़ितजन पहली बार तो बड़ी हसरत भरी उम्मीदों को लेकर आयोग की शरण में आते हैं बस यही सोंचकर कि कोई बात नहीं भ्रष्टाचारियों ने उनके जिले में नहीं सुनी तो क्या हुआ, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमतीनगर जैसे वीवीआईपी इलाके में ५० करोड़ के राजमहल में बैठे उनके आका तो भ्रष्टाचारियों को तलब करके हम पीड़ितों की फरियाद पर अमल करेंगे ही। मरता क्या न करता बेचारे पीड़ितजन अपने दिन का चैन और रातों की नींद हराम करके किसी तरह से दूर-दराज के क्षेत्रों से सैकड़ों किमी.का सफर तय करके दिल में बड़ी ऊंची-ऊंची ख्वाहिशें संजोकर आ तो जाते हैं!!! पीड़ितों के दिलोजान में उम्मीद तब तक अपनी जगह बनाए रखती है जब तक कि इनके चेहरों से मुखातिब नहीं हो जाते। .....किन्तु लेकिन परन्तु....कोप भवन माफिक राजमहल में सूचना आयुक्त की आंड़ में हिटलरशाही अंदाज में बैठे इन तानाशाहों से पीड़ित जब मुखातिब होता है तो बस पूछिए मत उस समय का नाजायज़ नज़ारा अपने आप में पीड़ितों के दिलों-दीमाग संग उनके चेहरों पर कैसे-कैसे लाल - पीले - काले कांटों की सेज पर फूल खुद- ब - खुद बेमौसम खिलते दिखाई देते हैं जो कि पूरी तरह से रंगहीन-सुगंधहीन नजर आते हैं । मतलब साफ है कि विभिन्न विभागों के जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों से भी गैर-गुजरे हालात मुख्य सूचना आयुक्त सहित लगभग सभी आयुक्तों के नजर आते दिखाई पड़ते हैं।सीधी भाषा में बोलें तो विभागीय जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों से बद से बदतर स्थिति तो इन सूचना आयुक्तों की है जो कि उन विभागों के उच्च स्तरीय भ्रष्टाचारियों के काले कारनामों को उजागर होने में बाधक की भूमिका में जोर-शोर से लगे हुए हैं। अभी एक ताजे  मामले का खुलासा मेरे द्वारा समाज कल्याण विभाग के करोड़ों-अरबों के पेंशन घोटालेबाजों को उजागर करने के वास्ते इस एक्ट के अंतर्गत आवेदनपत्र दाखिल किया गया जिसमें मैंने मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव के जन सूचना अधिकारियों से समाज कल्याण की विभिन्न पेंशन योजनाओं के बावत कुछ सूचनाएं मांगी थीं । इस क्रम में सही सूचना न देकर मुख्य सचिव कार्यालय, समाज कल्याण विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय तीनों मिलकर व गोलमोल करके साजिशन सूचनाएं छुपा ले गए। सूचनाओं के उजागर न होने की साजिश में शामिल जावेद उस्मानी ने ऐन-केन-प्रकारेन करोड़ों-अरबों के इस घोटाले पर पर्दा डालने में शत प्रतिशत अपनी संदिग्ध भूमिका निभाई है। दिनांक १६/९/२०१९ को मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन के इस पत्र पर आप भी जरा गौर फरमाएं जिसमें मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना अधिकारी मुझ आवेदक को अपनी ओर से परामर्श दे रहे हैं कि - " आप समाज कल्याण विभाग से सम्पर्क करें यानि मुख्य सचिव कार्यालय के कहने का साफ आशय है कि आप उसी चोर से जाकर पूछिए कि उसके द्वारा चोरी की गई है??? ये मामला तो एक बानगी भर है इसी तरह से पूरे प्रदेश में लाखों की तादात में फर्जीवाड़े के तमाम मामलों में मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी सरीखे अन्य आयुक्तों ने सरकारी घोटालेबाजों से सांठगांठ करके अरबों-खरबों के सरकारी राजस्व का बंदरबांट पूर्व के भ्रष्टाचारी सूचना आयुक्त जो कि चलते बने और वर्तमान के इन सूचना आयुक्तों की सरपरस्ती में उन्हीं भ्रष्टाचारियों को बचाने का खेल अब ये योगी सरकार के तिकड़मबाज आयुक्त निर्बाध रूप से बिना किसी रुकावट के खेलने में लगे हुए हैं।मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी सहित सभी सूचना आयुक्तों के पूरे कार्यकाल में अब तक निस्तारित किये गए सभी मामलों की जांच यदि कोई निष्पक्ष जाँच एजेंसी इस देश में बची हो तो उससे जांच कराने की दिशा में तत्काल कठोर कदम उठाने की जरूरत है। बिना सूचना दिलवाये सरकारी भ्रष्टाचारियों को बचाने के वास्ते मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर मुख्य सचिव कार्यालय तक को  बाइज्जत बरी करने वाले जावेद उस्मानी साहब किसके रहमोकरम पर कानून को अपने ठेंगे पर रखे हुए हैं ❓❓❓❓❓❓❓


इसका खुलासा इनके बिदाई समारोह से पहले हो जाए तो शायद प्रदेश के पीड़ितजन राहत की सांस ले सकते हैं!!! 


अब देखना होगा जावेद उस्मानी सरीखों के विरुद्ध देश और प्रदेश की संवैधानिक संस्थाओं में बैठे महानुभावों के द्वारा कैसे-कैसे गुल खिलाये जाने बाकी हैं ❓❓❓❓❓


ये तो आने वाला समय ही बताएगा!!! 


तब तक हम इंतजार करेंगे...