कश्मीर में कुछ राजनेताओं की नजरबंदी जरूरी है।
समाज में जब तक छुआछूत और भेदभाव है तब तक आरक्षण जारी रहेगा।
असम में हुई एनआरसी में अनेक खामियां।
पूर्वोत्तर राज्यों से घुसपैठियों को बाहर निकाला जाए-संघ।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तत्रेय होसबोले ने 9 सितम्बर को पुष्कर में पत्रकारों से संवाद करते हुए कहा कि कश्मीर में कुछ राजनेताओं की नजरबंदी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास जो सूचनाएं हैं, उसी के आधार पर नजरबंदी की गई है। सरकार की पहली प्राथमिकता कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने की है। यदि किसी राजनेता के बयान से हालात बिगड़ेंगे तो उसे नजरबंद ही किया जाएगा। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटा कर केन्द्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। संघ तो पहले से ही एक देश एक संविधान के पक्ष में रहा है। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटा कर जम्मू कश्मीर को देश की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। जहां तक संघ की भूमिका बढ़ाने का सवाल है तो संघ पहले से ही जम्मू कश्मीर में सक्रिय रहा है। घाटी में भी कई स्थानों पर संघ की शाखाएं लगती रही हैं। एक सवाल के जवाब में होसबोले ने कहा कि मदरसों को भी राष्ट्रवादी होना चाहिए, इस पर ऐतराज की क्या बात है? उत्तर प्रदेश में गत 15 अगस्त को सभी मदरसों में राष्ट्रगान और झंडा रोहण के आयोजन किए गए। उन्होंने कहा कि अब मुसलमानों की सोच में भी बदलाव हो रहा है, जिसका हम स्वागत करते हैं। आरक्षण समाप्त करने के सवाल पर होसबोले ने कहा कि कई बार मीडिया संघ प्रमुख के बयान को उचित नजरिए से प्रस्तुत नहीं करता है। संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक समाज में भेदभाव और छुआछूत है, तब तक आरक्षण भी जरूरी है। यदि छुआछूत और भेदभाव कल ही समाप्त हो जाए तो आरक्षण को भी खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ आरक्षण को समाप्त करने की राय नहीं रखता है। लेकिन सामाजिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्णय होने चाहिए। असम में हुई एनआरसी के संबंध में होसबोले ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राय रखते हुए कहा कि अनेक लोगों ने आधार कार्ड, पेन कार्ड, राशन कार्ड आदि दस्तावेज तैयार कर लिस्ट में अपना नाम शामिल करवा लिया है। सरकार को अब ऐसे घुसपैठियों की पहचान करनी चाहिए। सब जानते हैं कि पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर बंगालदेशियों की घुसपैठ हुई है। ऐसे में अब सरकार का दायित्व है कि वह घुसपैठियों को बाहर निकाले।