राजस्थान पुलिस की एसी नाक तो कभी नहीं कटी ।


राजस्थान पुलिस की ऐसी नाक तो कभी नहीं कटी। 
कुख्यात बदमाश पपला को बहरोड थाने में लाने के बाद सौदेबाजी करती रही पुलिस।
कांग्रेस ने ही लगाए अलवर एसपी पर आरोप। 
यूं तो राजस्थान पुलिस की वर्दी पर अनेक दाग लगे हुए हैं, लेकिन 6 सितम्बर को हरियाणा सीमा से लगे बहरोड थाने पर जो कुछ भी हुआ, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। फिल्मी स्टाइल में चार-पांच बदमाश फायरिंग करते हुए थाने में घुसे और लॉकअप में बंद अपने साथी विक्रम सिंह गुर्जर उर्फ पपला को छुड़ा कर ले गए। गरीब ठेलेवालों पर डंडा चलाने वाली पुलिस के जवान तब दुबक गए, जब बदमाश फायरिंग कर रहे थे। शर्मनाक बात तो यह है कि अपने कक्ष में बैठे थानाधिकारी सुगन सिंह बाहर नहीं निकले। यानि बदमाश फिल्मी स्टाइल में अपने साथी को छुड़ा ले गए और बहरोड थाने के 45 पुलिस कर्मी देखते रह गए। मीडिया खबरों को माने तो बदमाश पपला को 31 लाख रुपए के साथ रात्रि को ही पकड़ा था। बहरोड पुलिस चाहती थी कि 31 लाख रुपए तो हजम कर लिए जाए तथा पपला को छोडऩे की एवज में कुछ लाख रुपए और वसूल लिए जाएं। इस सौदेबाजी के लिए पपला तैयार हो गया। उसने अपने साथियों को थाने बुला लिया। प्रात: साढ़े आठ बजे थानाधिकारी भी नहा धोकर थाने आ गए, ताकि नोट गिन सके। लेकिन जब बदमाशों ने फायरिंग की तब पता चला कि बहरोड पुलिस अपने ही जाल में फंस गई। शर्मनाक बात तो यह भी है कि बदमाशों ने जब अपने साथी पपला को आवाज लगाई तब पुलिस को पता चला कि यह पांच हजार रुपए का ईनामी बदमाश विक्रम सिंह गुर्जर उर्फ पपला है। असल में 31 लाख रुपए के साथ पकड़े जाने पर पपला ने स्वयं का नाम साहिल बताया था। स्वयं को प्रोपर्टी का कारोबारी बताते हुए पुलिस को बेवकूफ बनाया। असल में बहरोड पुलिस की नजर तो पपला के 31 लाख रुपए पर लगी हुई थी, इसलिए जांच पड़ताल की कोशिश ही नहीं की। राजस्थान पुलिस की हालत कैसी है, इसका अंदाजा बहरोड की घटना से लगाया जा सकता है। राजस्थान पुलिस के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब बदमाश खुले आम फायरिंग कर ईनामी अपराधी को छुड़ा कर ले गए। चार सितम्बर को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि बड़े पुलिस अधिकारी को छोटे अधिकारी से पैसे नहीं लेने चाहिए। क्योंकि ऐसे पैसों की वसूली आम लोगों से होती है। जाहिर है मुख्यमंत्री की बात का पुलिस पर कोई असर नहीं हुआ। अजमेर में हुआ कांड बताता है कि हर थानाधिकारी को प्रतिमाह पुलिस अधीक्षक को मंथली देनी पड़ती है। हो सकता है कि बहरोड थाने की पुलिसमंथली की जुगाड़ में लगी हो जो भी हो राजस्थान पुलिस में गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। देखना है कि पुलिस की नाक कटवाने वाली इस घटना पर मुख्यमंत्री क्या प्रतिक्रिया देते हैं। 
एसपी पर गंभीर आरोप:
बहरोड की घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंदलाल व्यास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में अलवर के एसपी अमनदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। व्यास ने कहा कि एसपी के तौर तरीकों से ही अलवर की कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। उन्होंने सीएम गहलोत से अमनदीप सिंह को एसपी के पद से तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है। #5975
राजस्थान पुलिस की ऐसी नाक तो कभी नहीं कटी। 
कुख्यात बदमाश पपला को बहरोड थाने में लाने के बाद सौदेबाजी करती रही पुलिस।
कांग्रेस ने ही लगाए अलवर एसपी पर आरोप। 
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यूं तो राजस्थान पुलिस की वर्दी पर अनेक दाग लगे हुए हैं, लेकिन 6 सितम्बर को हरियाणा सीमा से लगे बहरोड थाने पर जो कुछ भी हुआ, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। फिल्मी स्टाइल में चार-पांच बदमाश फायरिंग करते हुए थाने में घुसे और लॉकअप में बंद अपने साथी विक्रम सिंह गुर्जर उर्फ पपला को छुड़ा कर ले गए। गरीब ठेलेवालों पर डंडा चलाने वाली पुलिस के जवान तब दुबक गए, जब बदमाश फायरिंग कर रहे थे। शर्मनाक बात तो यह है कि अपने कक्ष में बैठे थानाधिकारी सुगन सिंह बाहर नहीं निकले। यानि बदमाश फिल्मी स्टाइल में अपने साथी को छुड़ा ले गए और बहरोड थाने के 45 पुलिस कर्मी देखते रह गए। मीडिया खबरों को माने तो बदमाश पपला को 31 लाख रुपए के साथ रात्रि को ही पकड़ा था। बहरोड पुलिस चाहती थी कि 31 लाख रुपए तो हजम कर लिए जाए तथा पपला को छोडऩे की एवज में कुछ लाख रुपए और वसूल लिए जाएं। इस सौदेबाजी के लिए पपला तैयार हो गया। उसने अपने साथियों को थाने बुला लिया। प्रात: साढ़े आठ बजे थानाधिकारी भी नहा धोकर थाने आ गए, ताकि नोट गिन सके। लेकिन जब बदमाशों ने फायरिंग की तब पता चला कि बहरोड पुलिस अपने ही जाल में फंस गई। शर्मनाक बात तो यह भी है कि बदमाशों ने जब अपने साथी पपला को आवाज लगाई तब पुलिस को पता चला कि यह पांच हजार रुपए का ईनामी बदमाश विक्रम सिंह गुर्जर उर्फ पपला है। असल में 31 लाख रुपए के साथ पकड़े जाने पर पपला ने स्वयं का नाम साहिल बताया था। स्वयं को प्रोपर्टी का कारोबारी बताते हुए पुलिस को बेवकूफ बनाया। असल में बहरोड पुलिस की नजर तो पपला के 31 लाख रुपए पर लगी हुई थी, इसलिए जांच पड़ताल की कोशिश ही नहीं की। राजस्थान पुलिस की हालत कैसी है, इसका अंदाजा बहरोड की घटना से लगाया जा सकता है। राजस्थान पुलिस के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब बदमाश खुले आम फायरिंग कर ईनामी अपराधी को छुड़ा कर ले गए। चार सितम्बर को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि बड़े पुलिस अधिकारी को छोटे अधिकारी से पैसे नहीं लेने चाहिए। क्योंकि ऐसे पैसों की वसूली आम लोगों से होती है। जाहिर है मुख्यमंत्री की बात का पुलिस पर कोई असर नहीं हुआ। अजमेर में हुआ कांड बताता है कि हर थानाधिकारी को प्रतिमाह पुलिस अधीक्षक को मंथली देनी पड़ती है। हो सकता है कि बहरोड थाने की पुलिसमंथली की जुगाड़ में लगी हो जो भी हो राजस्थान पुलिस में गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। देखना है कि पुलिस की नाक कटवाने वाली इस घटना पर मुख्यमंत्री क्या प्रतिक्रिया देते हैं। 
एसपी पर गंभीर आरोप:
बहरोड की घटना पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंदलाल व्यास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में अलवर के एसपी अमनदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। व्यास ने कहा कि एसपी के तौर तरीकों से ही अलवर की कानून व्यवस्था बिगड़ रही है। उन्होंने सीएम गहलोत से अमनदीप सिंह को एसपी के पद से तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है। 


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