संघ प्रमुख मोहन भागवत और निम्बार्क पीठाधीश्वर श्याम शरण का मिलना , भक्ति और शक्ति का संगम है। पुष्कर में ११ सितंबर तक रहेंगे भागवत।


संघ प्रमुख मोहन भागवत और निम्बार्क पीठाधीश्वर श्यामशरण का मिलना, भक्ति और शक्ति का संगम है। पुष्कर में 11 सितम्बर तक रहेंगे भागवत। 
राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत 3 सितम्बर को हिंदुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर पहुंच गए हैं। भागवत अब 11 सितम्बर तक पुष्कर स्थित माहेश्वरी सेवा सदन में ही प्रवास करेंगे। इस दौरान 7 से 9 सितम्बर के बीच संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों से भागवत का विचार विमर्श होगा। माना जा रहा है कि इन तीन दिनों की अवधि में एक दिन केन्द्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा भी भागवत से मुलाकात करेंगे। संघ के कामकाज में भागवत के पुष्कर प्रवास को सामान्य प्रक्रिया माना जा रहा है। संघ प्रमुख का वर्ष प्रवास रहता है। राष्ट्रीय बैठक भी पहले से तय रहती है। भागवत के साथ संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भी पुष्कर में मौजूद हैं। ऐसी बैठकों में संघ के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले कार्यों की समीक्षा भी होती है। संघ के लिए राजनीति शाखा भाजपा और स्वदेशी जागरण मंच में कोई फर्क नहीं होता है। 
भक्ति और शक्ति का संगम:
तीन सितम्बर को पुष्कर पहुंचने पर भागवत ने वैष्णव सम्प्रदाय की निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्यामशरण महाराज से मुलाकात की। बाद में आचार्य के साथ ही पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना भी की। पुष्कर स्थित निम्बार्क पीठ के परिसर में आचार्य और भागवत के बीच बंद कमरे में लम्बी मंत्रणा हुई। हालांकि मंत्रणा की कोई जानकारी बाहर नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुलाकात भक्ति और शक्ति का संगम है। जहां देश भर के हिन्दू समुदाय की आस्था निम्बार्क पीठ से जुड़ी हुई है तो वहीं संघ की भूमिका को शक्ति के तौर पर देखा जाता है। जब भक्ति और शक्ति का संगम होता है तो फिर राष्ट्र को मजबूती मिलती है। संभवत: दोनों व्यक्तियों में राष्ट्र को मजबूत करने को लेकर ही मंथन हुआ है।  निम्बार्क पीठ के मौजूदा आचार्य श्यामरण के पूर्ववर्ती आचार्य श्रीजी महाराज से भी संघ का जुड़ाव रहा है। श्रीजी भी कई मौकों पर संघ की कार्यप्रणाली की प्रशंसा कर चुके हैं। श्रीजी महाराज के देव लोक गमन के बाद श्याम शरण महाराज आचार्य की गद्दी पर आसीन हुए हैं। अब सम्पूर्ण निम्बार्क पीठ की कमान आचार्य श्यामशरण के पास है। ऐसे में संघ प्रमुख से उनकी मुलाकात बहुत मायने रखती है। आचार्य श्यामशरण भी संघ के कामकाज के प्रशंसक हैं और उन्होंने संघ को देशभक्त संस्था बताया है। 


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