अयोध्या राम जन्म भूमि विवाद फैसला - कम शब्दों में जाने , सुप्रीम कोर्ट में क्या - क्या हुआ है।

लखनऊ: सालों से जारीअयोध्या भूमि विवाद पर इंतजार की घढ़ियां थम चुकी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच दशकों के जारी विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदलात ने सभी पक्षों के दलीलों और कानूनी व ऐतिहासिक मतों का ख्याल करते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में किसी भी पक्ष को निरास किए बिना फैसला सुनाने की पूरी कोशिश की है। आइए जानते हैं कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा।कोर्ट के फैसले को अगर कम शब्दों में समझे तो कोर्ट साफ किया है कि उक्त फैसला आस्था के आधार पर नहीं बल्कि कानूनी आधार पर फैसला लिया जाता है कि विवदित जमीन का मालिकाना हक राम लला विराजमान को दिया गया है। जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए और 3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए।कोर्ट में क्या क्या हुआ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। इस पीठ में गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। इन पांचों जजों ने अयोध्या विवाद की सुनवाई की है, जिसके बाद आज इस मामले में फैसला सुनाया। उक्त फैसला सभी पांच जजों की सहमति यानी 5-0 से आया है।कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई गोगोई ने कहा, 'हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं।'फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर बकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया। उसने देरी से याचिका दायर की थी।सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है: सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है: सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।