वाराणसी हस्तशिल्प मेला - भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की शानदार झलक ।


मेला : भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की शानदार झलक हस्तशिल्प मेला : भारतीय परंपराएवं संस्कृति कीशानदार झकल  मेले में हर राज्यों की है भागीदारी,राजस्थानी भोजन एवं चाट मचा रहा धूमउमड़ रही खरीदारों की भीड़, खादी वस्त्र,वूलेन व आर्टिफिशियल ज्वेलर्स बनेआकर्षण का केंद्र शहर के चौकाघाट स्थितसांस्कृतिक संकुल में गांधी शिल्प बाजार में खरीदारों कीभीड़ उमड़ रही है। दस दिन तक चलने वाले इस बाजारमें देश के कोने-कोने से आए शिल्पियों द्वारा मेले में 375 स्टॉल लगाए हैं। इनमें कश्मीर से कन्या कुमारी तक के18 राज्यों से हस्त शिल्पियों ने भागीदारी की हैं। इनमेंपंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर आदि हैं। दोपहर 12 बजे से रात 10 बजे तक गांधी शिल्प बाजार खुलागुलजार है। मेले में बेहतरीन किस्म की हजारों हाथ सेबनी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है।फूड जोन में राजस्थान से आएं 'आपणोंराजस्थान' स्टाल पर राजस्थानी व्यंजनों का अनूठासंगम देखने को मिला। बिक्रेता महेन्द्र सिंह राठौर काकहना है कि 200 रुपये की राजस्थानी वाली भोजन कोलोग खूब पसंद कर रहे है। इसके अलावा 150 रुपयेकी दाल बाटी चूरमा लोगों की पसंद बनी हुई है। 40 रुपये की प्याज कचौड़ी, दाल कचौडी, जोधपुरी मिर्चीबड़ा, 70 रुपये की मूंग दाल पकौड़ी, वेज चाउमिन, बीकानेरी जलेबी, मूंग दाल हलवा, आलू पनीर टिक्की, दही बड़ा, पपड़ी चाट, 80 रुपये की पनीर वाला छोलाभटूरा व पाव भाजी भी लोग बड़े चाव से खा रहे है।खास बात यह है कि शिल्पमेले में फर्नीचर, घरसजावट की चीजें, कपड़े, ऑर्गेनिक बॉडी केयरप्रॉडक्ट्स, पत्थर और धातुओं की बनी कलाकृतियां,ऐक्सेसरीज और गिफ्ट आइटम्स जैसी चीजें शामिल है।मेले में केन एवं बंबू, चर्म शिल्प, पटचित्र, मिथिला कीपेंटिंग, बीड वर्क, धातु शिल्प, पैचवर्क, इंब्राइडरी, जरीक्राफ्ट, ज्वेलरी, वुड कार्विग, ब्लू आर्ट पाटरी, जूट क्राफ्टएवं हैंड प्रिंटेड टेक्सटाइल्स, मिट्टी के बर्तन जिनमें मिट्टीके कूकर, तवा, धातु शिल्प, एंब्रायडरी, चमड़े के उत्पाद, जरी-जरदोजी, जूट क्राफ्ट, सिल्क उत्पाद आदि केसामान उपलब्ध हैं। मेला में मुख्य आकर्षण खादीग्रामोद्योग के वस्त्र, वूलेन व सहारनपुर के आर्टिफिशियलज्वेलर्स हैं, जहां लोगों की अधिक भीड़ उमड़ रही है।मेला में मुख्य रूप से दिल्ली की ब्लॉक प्रिंट कुर्ती, बिनापानी के कूलर, चंदेरी व बनारसी साड़ी, एक्यूप्रेशर ववास्तु शास्त्र से संबंधित सामान, नागपुरी का कॉटन बैगव माइक्रो चूल्हा समेत अन्य दुकानें हैं, जहां लोगसपरिवार खरीदारी कर रहे हैं। ये सभी सामान भारत कीहस्तशिल्प और हस्तकलाओं की शानदार परंपरा कीझलक दिखाने वाले है। 


मेले में लखनवी चिकन टॉप, कुरते काफी पसंदआ रहे है। ग्राहकों को मेले में कश्मीरी शॉल, साहरनपुरफर्नीचर, भदोही कारपेट, मेरठ का खादी शर्ट, बनारसीसाड़ी, राजस्थानी मोजड़ी, बॉम्बे ज्वेलरी के अलावाअचार, बेडशीट, कलकत्ता साड़ी, गुजरात बेडशीट, कुशन कवर , दिल्ली टाप, ट्रेन्डी बैग, कर्नाटकाअगरबत्ती, हर्बल तेल, गैस सिगड़ी, रोटी मेकर, इन्डक्शनआदि सामान लोगों के मन को भा रहे है। शिल्प मेले मेंशिल्पीगण चर्मशिल्प, मधुबनी पेन्टिंग, बीड वर्क,धातुशिल्प, पैचवर्क, इम्ब्रायडरी, जरी क्राफ्ट, ज्वैलरी, वुडकार्विग, ब्लू आर्ट पाटरी, जूट क्राफ्ट, हैण्ड प्रिन्टेडटेक्सटाइल्स आदि का प्रदर्शन किया।बता दें, काशी की शिल्प कला दुनिया में प्रसिद्धहै। गांधी शिल्प बाजार का देश के अन्य राज्यों केशिल्पियों को भी इंतजार रहता है और बनारस सहितआसपास के जिलों के लोग भी यहां खरीदारी करनापसंद करते हैं। गांधी शिल्प बाजार में पिछले साल दसकरोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। इस सालइससे अधिक कारोबार होने की उम्मीद है। आयोजकोंके मुताबिक भारतीय हस्तकला और हस्तशिल्प उद्योगमें एक नई जान फूंकना। जो चाहता है आनेवालीपीढ़ियों के लिए पारंपरिक कलाओं की कभी न खत्महोने वाली विरासत तैयार करना। यह भारतीयसांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करने की बहुत बड़ीपहल का ही एक हिस्सा है। भारत की हस्तकलाओं कीपरंपरा जितनी पुरानी है उतनी ही विविधताओं से भरीहुई है। शिल्प बाजार में देश  के सभी प्रान्तों के उत्कृष्टशिल्पकारों, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय शिल्पकारों कोआमंत्रित किया जाता है। पिछले साल 22 प्रान्तों केउत्कृष्ट शिल्पकारों ने भाग लिया था। गंगा महोत्सव केअन्तर्गत गांधी शिल्प बाजार का आयोजन भारतवर्ष कीपारम्परिक हस्तशिल्प को वाराणसी एवं आसपास केनागरिकों, क्रेताओं, विक्रेताओं, निर्माताओं से सीधेसम्पर्क करने का एक अवसर प्रदान करना एवं विदेशीपर्यटकों, भ्रमणकारियों एवं आयातकों को शिल्पियों सेमिलाना एवं उनके उत्पाद का सीधे बिक्री कराना एवंभविष्य के लिए निर्यात आदेश मिलने के लिए अवसरप्रदान करना तथा भारतीय संस्कृति एवं पर्यटन कोबढ़ावा देना है। उनका कहना है कि अनेकता में एकताका प्रतीक है गांधी शिल्प बाजार। इस बाजार में देश केकोने-कोने की संस्कृति एवं विरासत तो देखने कामिलती ही है। वहां कि शिल्पकारों द्वारा बनाए गएहस्तशिल्प सामग्री भी सहजता के साथ गांधी शिल्पबाजार में स्थानीय जनमानस को सुगमता से उपलब्ध होजाता हैं।


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