एनपीपीए की शुक्रवार को हुई मीटिंग में १२ दवाओं के सीलिंग प्राइस (वो कीमत जिससे अधिक पर दवा बिक्री नहीं हो सकती) पर लगी रोक को ५० फीसदी से बढ़ा दिया है. एनपीपीए का कहना है कि यह जनहित में किया गया है....
- कलाम द ग्रेट न्यूज़।
- जय यादव मीडिया प्रभारी।
इस वजह से महंगी हो सकती है दवाएं- टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला इसलिए किया गया है ताकि दवाइयों की उपलब्धता को बनाया रखा जा सके. हालांकि, अभी तक इसका प्रयोग दवाइयों के दाम को कंट्रोल करने के लिए ही किया गया है।
" एनपीपीए ने यह कदम फार्मा इंडस्ट्री की मांग पर लिया है. फार्मा इंडस्ट्री ने एनपीपीए से मांग की थी कि चूंकि दवाइयों को बनाने में प्रयोग किए जाने वाले मटीरियल के दाम ज्यादा हैं इसलिए दवाइयों की ऊपरी कीमत को बढ़ाया जाए।
" अपने फैसले में एनपीपीए ने कहा कि ये दवाएं फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट की कैटेगरी में आती हैं और देश में लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी हैं. काफी कंपनियां विचार कर रही थीं कि इन दवाओं को बनाना बंद कर दिया जाए।
" आगे एनपीपीए ने कहा कि दवाओं की उपलब्धता को सस्ती कीमतों पर बनाए रखना जरूरी है लेकिन इसकी वजह से ऐसा नहीं होना चाहिए कि दवाओं में यूज़ होने वाले कच्चे माल (रॉ इन्ग्रेडिएंट्स) की वजह से दवाएं ही मार्केट में उपलब्ध न रह जाएं. क्योंकि ऐसा होने पर लोगों को उनके विकल्प वाली दूसरी महंगी दवाओं को खरीदना पड़ेगा।