सचिव, वैद्य, गुरु जो बोले भय आज, राज धर्म तन 3 का हुई बीग ही नाश
तुलसीदास लिखित रामायण की यह एक चौपाई है जिसका अर्थ है कि यदि राजा का सचिव अथवा गुरु अथवा वैद्य राजा के सही बात नहीं बतलाते हैं तो राज्य का नाश हो जाता है
मैं न तो बीजेपी सरकार में सचिव हूं ना वैद्य हूं और ना गुरु हूं और ना ही मेरी कोई पहुंच इस सरकार की किसी मंत्री तक है।
। मैं मोदी एवं योगी का सबसे बड़े प्रशंसकों में से एक हूं परंतु इनके प्रशासन में अगर मुझको कोई कमी दिखती है तो मैं उसकी ओर इशारा जरूर करता हूं। ऐसा करने का मेरा केवल एक और एक ही उद्देश्य है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपनी गलतियों की तरफ देखें, उनमें सुधार करें और जनता के मूड को जाने। ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकारी कोई गलत काम नहीं करती हैं उनको दिल्ली के नतीजों से सबक लेना चाहिए और जनता के मूड को देखना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि दिल्ली की जनता किस ने केजरीवाल को चुना है पूरी तरह से मूर्ख है और उन प्रदेशों की जनता जिसने भारतीय जनता पार्टी को चुना है सबसे काबिल है।
तुलसीदास की लिखी रामायण की चौपाई , सचिव , वैद्य , गुरु जो बोले भय आज , राजधर्म तन ३ हुई बीग ही नाश.