जिहिं घर साधु न पूजिये....
पालघर में भीड़ ने तीन साधुओं की पीट पीट कर हत्या कर दी है! अलग अलग लेवल्स पर इसकी अलग तरीके से व्याख्या की जा रही है! कोई इसे सनातन धर्म पर हमला बता रहा है, तो कोई इसका साम्प्रदायिक पहलू ढूंढ रहा है! मैंने भी अपनी समझ के अनुसार इसपर कुछ लिखा है, वह आप पढ़ सकते हैं!
लेकिन मैं आपको आज से 10 साल पीछे लेकर जाना चाहता हूँ! मामला तीन साधुओं की अकाल मौत का है जिन्होंने माँ गंगा के उद्धार के लिये अपने प्राण त्याग दिये!
1-स्वामी गोकुलानन्द
2-स्वामी निगमानंद, और
3-स्वामी सानंद (प्रो. GD अग्रवाल)
स्वामी गोकुलानन्द तथा स्वामी निगमानन्द ने वर्ष 1998 से हरिद्वार के कनखल में हो रहे अवैध खनन को लेकर एक मुहीम शुरू की! कई बार उन्होंने एक साथ तो कई बार अलग अलग अनशन भी किया!
114 दिनों के अटूट अनशन के कारण स्वामी निगमानंद 2011 में स्वर्ग सिधार गए! दिल्ली में अनशन कर रहे बाबा रामदेव और स्वामी निगमानन्द एक ही अस्पताल में भर्ती थे! रामदेव चँगे होकर घर चले गए और स्वामी जी स्वर्ग! अनशन दोनों ने किया था!
फिर इस मुहीम को आगे बढ़ाया स्वामी गोकुलानन्द ने!
2013 में नैनीताल के बामनी गांव में स्वामी गोकुलानंद भी मृत पाये गये! जाँच में पाया गया कि उन्हें जहर देकर मार दिया गया था!
अब गंगा सफाई तथा गंगा नदी के लिए स्पेशल एक्ट की मांग को आगे बढ़ाया स्वामी सानंद ने! इनका असली नाम प्रो. जीडी ( GD) अग्रवाल था!
साल था 2018! गंगा नदी को बचाने के लिए कानून बनाने हेतु स्वामी सानंद ने केंद्र सरकार को 8 अक्टूबर तक का समय दिया था!
वे 112 दिनों तक सिर्फ जल ग्रहण करते आ रहे थे! 9 अक्टूबर को उन्होंने जल भी त्याग दिया और दो दिनों बाद 11 अक्टूबर को स्वामी सानंद भी इस दुनिया से चले गए!
ये तीनों सन्त हरिद्वार की एक संस्था मातृसदन से जुड़े थे और गंगा के अस्तित्व को बचाने के प्रयास में अकाल मौत के शिकार हुए!
अब इन तीनों संतों की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आयी हैं उसी संस्था की एक साध्वी जिनका नाम है साध्वी पद्मावती!
आपको ये जानना आवश्यक है कि दो साधुओं की मृत्यु कांग्रेस के दौर में हुई, जिसका फल उन्हें 2014 के चुनाव में मिला! ...और स्वामी सानंद की मृत्यु के समय गंगा को साफ़ करने की जिम्मेदारी महान साध्वी उमा भारती जी के पास थी!
साल 2014 में "नमामि गंगे" प्रोजेक्ट को लाया गया जिसका बजट 20 हजार करोड़ का था!
स्वामी सानन्द के शिष्यों में इस बात को लेकर खासी नाराजगी थी कि गंगा को साफ़ करने की जिम्मेदारी एक साध्वी की देखरेख में थी, फिर भी हमारे पूज्य गुरु नहीं बचाये जा सके! मंत्रीं के मुंह से आश्वासन के एक बोल तक नहीं फूटे!
जब पत्रकारों ने उमा भारती जी से पूछा कि गंगा कितनी साफ़ हुई है, तो उनका जवाब हास्यास्पद था!
गंगा को बचाते बचाते तीन संतो ने अपने प्राण दे दिए लेकिन क्या मजाल जो किसी देशभक्त के मुंह से एक बोल तक फूटा हो?
तीन संतों को भीड़ ने कल मारा! पूरी दुनिया ने देखा! आरोप में 100 लोग गिरफ्तार भी हुए हैं!
लेकिन हरिद्वार के इन तीन संतों की हत्या किसने की?
किसको जिम्मेदार ठहराओगे और किसपर मुकद्दमा चलेगा?
तुम्हे इसकी खबर भी होगी....इसपर भी संदेह है!
जिहिं घर साधु न पूजिये, हरि की सेवा नाहिं।
ते घर मरघट सारिखे, भूत बसे तिन माहिं।।