आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर शुभ संयोग...

 गुप्त नवरात्रि पर शुभ संयोग। 


  • आषाढ़ गुप्त गुप्त नवरात्रि आज 19 जून से आरंभ हो रहा है और 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान 4 रवि योग का संयोग बना है जो बेहद दुर्लभ है। इस नवरात्रि में 20 जून, 22 जून, 24 और 27 जून को रवियोग लग रहा है।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का बड़ा ही महत्व है। साल में चार नवरात्रि आती है। जिनमें आश्विन मास की शारदीय और चैत्र नवरात्रि को श्रद्धालु बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इन्हें प्रकट नवरात्रि कहते हैं। जबकि माघ और आषाढ़ में जो नवरात्रि आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। क्योंकि जन सामान्य में यह बहुत प्रचलित नहीं है। इसकी वजह यह है कि गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और तंत्र मंत्र के साधक इसमें विशेष रूप से साधना करते हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर ऋद्धि सिद्धि से होंगे निहाल

  • आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार आर्द्रा नक्षत्र में हो रहा है जो राहु का नक्षत्र है। तंत्रशास्त्र और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि देवी की उपासना और तंत्र मंत्र की सिद्धि राहुकाल और राहु के नक्षत्र में किया जाए तो यह अधिक फलदायी और लाभकारी होता है। संयोगवश आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार वृद्धि योग में हो रहा है। ऐसे में गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की उपासना ध्यान पूर्वक करने वाले भक्ति ऋद्धि सिद्धि से निहाल होंगे।

गुप्त नवरात्रि पर दस महाविद्या की साधना का महत्व

  • नवरात्रि की उपासना में चारो नवरात्रि में दोनों प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की साधना की जाती हैं। देवी की ये दस महाविद्याएं बहुत ही शक्तिशाली हैं और जिस भक्त पर कृपा कर देती हैं उनके लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। देवी की ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा (देवी), छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी (त्रिपुर सुंदरी), धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला। गुप्त नवरात्रि में श्रद्धालु तंत्र मंत्र की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए इनकी उपासना करते हैं।

कलाम द ग्रेट न्यूज़ 

सम्पादक जय शंकर यादव।