चंद्रयान चांद पर पहुंचा साफ्ट लैंडिंग हुई देश में खुशी की लहर। ,🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
आखिरकार भारत वह कर दिखाए जो पूरे भारत के देशवासियों की उम्मीद थी वह किरण आज पूरा हुआ भारत को हमेशा ऐसे ही कामयाबी मिलती रहे यही भारतीयों की कामना है एवं दुआएं हैं आने वाले समय में चंद्रयान का इतिहास पन्नों पर सुनहरा अक्षरों पर शोधित होने पर मजबूर है क्योंकि भारत के वैज्ञानिक अपनी मजबूती के साथ डटे रहे।
भारत वासियों के लिए गर्व का पल
भारत माता की जय।
चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर चुका है उतर गया यह अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक सबसे बड़ी जीत है जो आने वाले समय में अंतरिक्ष की दुनिया में मील का पत्थर साबित होगी साथ ही अंतरिक्ष पहुंचने तथा अंतरिक्ष में बसने की एक नई होड़ भी शुरू होगी।इसी के साथ भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है पर इससे पहले भी भारत चांद के इसी दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने का प्रयास किया था परंतु उस समय भारत के दोनों यान क्रैश हो गए थे। चंद्रयान प्रथम तथा चंद्रयान द्वितीय दोनों ही चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में ही क्रैश हुए थे तथा हाल ही में रूस द्वारा प्रक्षेपित लूना-25 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्रैश हुआ था।परंतु यह चंद्र मिशन हजारों लोगों की मेहनत, मेधा और परिश्रम का परिणाम है जिसे चांद के सफर की सीढ़ी बनाने वाले सितारे भी हमारे ही समाज के बीच से निकले हुए लोग हैं कोई प्रयागराज से है तो कोई उन्नाव से तो कोई मुरादाबाद तो कोई सीतापुर ।लोग एक साथ मिल बैठकर इस देश के लिए समर्पित भाव से कार्य करते हैं और उनका सीन फ्रख से तब चौड़ा हो जाता है जब वह तिरंगे को लहराते हुए देखते हैं आज चंद्रयान की सफलता के बाद न सिर्फ इन हजारों वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है बल्कि उन हजारों दुआओं का भी असर है जो कुछ दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही थी कहीं हवन हो रहा था तो कहीं पूजा तो कहीं नमाज पढ़ी जा रही थी तो कहीं दुआ मांगी जा रही थी पूरा देश शाम को पूरा 140 करोड़ लोग एक साथ में टकटकी लगाए और दिल में चंद्रयान के सफल होने की उम्मीद, आशा और प्रार्थना करते हुए नजर आ रहे थे।हम सभी के मन में यह सवाल जरूर उठना होगा कि चंद्रमा का निर्माण कैसे हुआ तो वैज्ञानिकों के अनुसार धरती और थिया नमक ग्रह के टकराने से चंद्रमा बना था। पृथ्वी करीब 451 करोड़ वर्ष पुरानी है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी बनने के करीब छः से सत्रह करोड़ वर्ष बाद मंगल ग्रह के आकार जितना बड़ा थिया नामक ग्रह पृथ्वी से टकराया जिसके अवशेषों से ही जिस चंद्रमा को हम देख रहे हैं वह चंद्रमाथा परंतु सभी के मन में यह सवाल भी है कि भारत अपना यह चंद्र मिशन क्यों भेज रहा है इससे भारत को क्या फायदा होगा सही और सटीक उत्तर ये है कि अगर भारत का यह चंद्रयान तीन वहां पर पानी और अन्य तत्व या खनिज पदार्थ की खोज करता है तो यह एक बहुत बड़ी खोज होगी और भविष्य में वहां से खनिज निकल भी जा सकते हैं जिसमें भारत की भूमिका सबसे बड़ी होगी।भारत ने 2008 में सबसे पहले चंद्रयान प्रथम को भेजा था जिसमें नासा का एक यंत्र भी लगा हुआ था जिसका नाम था मून मिनरलोलॉजी मैपर जिसके द्वारा चांद पर पानी को खोजा गया था तथा कई ऐसे जगह भी दिखे जहां पर बर्फ या पानी के भंडार होने की संभावना दिखाई चंद्रयान प्रथम के साथ भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बना जिसने चांद की सतह को छुआ, भले ही उस समय चंद्रयान प्रथम चांद की सतह पर ही क्रैश हुआ था।भारत का इसरो एक बार फिर नासा के साथ मिलकर दुनिया को आश्चर्यचकित करने वाला है क्योंकि भारत का इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के संयुक्त रूप से तैयार निसार उपग्रह जो पूरी बारह दिन में पूरी दुनिया को नापेगा यह भी लॉन्च होने वाला है इस उपग्रह के जरिए पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र की पूरी विस्तृत जानकारी मिल सकेगी इसमें विभिन्न समुद्री का स्तर भूजल, प्राकृतिक आपदा, भूकंप सुनामी ज्वालामुखी से जुड़ी जानकारियां और पृथ्वी में हर पल में हो रहे बदलाव की सही और सटीक जानकारी मिलेगी।सोचने वाली बात यह है कि इसरो ने चांद पर लैंडिंग के लिए दक्षिणी ध्रुव ही क्यों चुना ? आखिर दक्षिणी ध्रुव में क्या खास बात है ? तो इसके बारे में यह कहा जाता है कि अभी तक जितने भी चंद्र मिशन हुए हैं उनमें से अधिकांश चांद के इक्वेटर के पास ही उतरे हैं या क्रैश हुए हैं क्योंकि यह इलाका सामने से दिखता है यहां की सतह भी सपाट है सामने से दिखाने के कारण यहां का तापमान,मौसम और अन्य जानकारियां पता करने पर एकदम सही प्राप्त होती हैं
कलाम द ग्रेट न्यूज।
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