राज्य मुख्यालय से चल रहा है टैक्स चोरों को बचाने का सिंडिकेट।

कलाम द ग्रेट न्यूज। पत्रकार यश प्रताप यादव।

 *राज्य मुख्यालय से चल रहा है टैक्स चोरों को बचाने का सिंडीकेट*

लखनऊ।

राज्यकर विभाग में तैनात आईएएस अधिकारी के पत्र ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी है। करीब 2,700 करोड़ रुपये की कर चोरी से संबंधित सात मामलों की एसआईटी या अन्य किसी भी एजेंसी से जांच की सिफारिश के बाद एक और खुलासा हुआ है।

आईएएस अधिकारी द्वारा जांच से जुड़े वायरल पत्र में शासन के सामने पहली बार लिखित में कहा गया है कि मुख्यालय में कुछ अफसरों का गिरोह है। ये अधिकारी प्रदेश में संवेदनशील उत्पादों से जुड़े टैक्स चोरी करने वाले कारोबारियों के संरक्षण का ठेका लेते हैं। इन कारोबारियों की जांच करने वाले अधिकारी के खिलाफ ही जांच बैठाने का खेल चलाते हैं और अपने व्यापारी को बचा लेते हैं।

अपर आयुक्त प्रशासन ओपी वर्मा ने राज्यकर मुख्यालय में तैनात अफसरों के खेल का भंडाफोड़ किया है। शासन को भेजे पत्र में ब्यूरोक्रेसी रैकेट का खुलासा करते हुए कहा

गया है कि प्रदेश में टैक्स चोर माफिया के संरक्षण का 'ठेका' मुख्यालय से उठता है। इनमें से अधिकांश व्यापारी संवेदनशील - वस्तुओं सुपाड़ी, रेडीमेड, मेंथा व सीमेंट से जुड़े हैं। इन माफिया के ट्रकों व गोदामों पर जो भी अधिकारी कार्रवाई करता है, ये रैकेट उसी अधिकारी के पीछे पड़ जाता है।

जांच को डीरेल कराने की साजिश के सात उदाहरण देते हुए कहा गया है कि शासन को गुमराह किया जा रहा है। करीब 2,700 करोड़ रुपये टैक्स चोरी के ये मामले मुरादाबाद, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, कानपुर और कानपुर देहात के हैं। शिकायती पत्रों को दबाव बनाने की सबसे कारगर तकनीक बताते हुए कहा गया है कि विभाग के जो भी अधिकारी टैक्स चोरी रोकने का प्रयास करते हैं। यही सिंडीकेट शिकायत की 'मोडस आपरेंडी' के तहत जांच रोकने के लिए सक्रिय हो जाता है। पहले मौखिक शिकायत की जाती है, फिर गुमनाम व्यक्तियों से लिखित में शिकायत कराई जाती है। दूषित मंशा से तैयार पत्रावली ऊपर तक चलाई जाती है। आरोपी अधिकारी का पक्ष जाना जाता है, पर उसे तोड़-मरोड़ कर शासन में पेश किया जाता है। पत्रावली ही तथ्यों के विपरीत दी जाती है, जिसे बिना जांच के फारवर्ड कर दिया जाता है। अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो जाती है। जबतक स्पष्टीकरण देता है और पुनः बहाल होता है, तबतक गिरोह अपना काम कर चुका होता है। सबसे गंभीर प्रमाण देते हुए कहा गया है कि 400 करोड़ की टैक्स चोरी के एक मामले में एक फर्म के खिलाफ अधिकारी ने जांच की। उसे बचाने के लिए गिरोह में शामिल अफसरों ने उसी पर कार्रवाई कर जांच से बाहर कर दिया। खास बात ये है कि जिस फर्म को सिंडीकेट संरक्षण दे रहा था, उसी फर्म पर आयकर विभाग ने छापा मारकर 400 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ ली।

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