पत्रकारों को प्रतिबंधित करने पर इंडियन कौंसिल आफ प्रेस ने लेटर पिटिशन दिया।

 *विनोद सोनकर**संवाददाता*

*पत्रकारों को प्रतिबंधित करने पर इंडियन कौंसिल आफ प्रेस ने लेटर पिटिशन दिया*

बस्ती जिलाधिकारी को*
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय

उच्चतम न्यायालय दिल्ली

विषय - लोक शिकायत अनुभाग - 5 मुख्यमंत्री कार्यालय लखनऊ दिनांक 16 अगस्त 2023 पत्र संख्या 721/34 - लो.शि.05/2023 के संदर्भ में।

बिंदु 1- यह कि संविधान का चौथा स्तम्भ जो कि मीडिया है इसको श्रीमान जी माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई बार कहा जा चुका है कि मीडिया जगत/पत्रकार समाज की एक ऐसी कड़ी है जो कि संविधान के अनुरूप दबे-कुचले लोगों की बात को देश के सामने बेबाक रूप से बिना किसी भय के लिखकर/दिखाकर उनको न्याय दिलवाता है और सरकार,शासन-प्रशासन की मदद करता है। जिस घटना को स्थानीय प्रशासन द्वारा दबाया जाता है उस पर पाबंदी लगाकर संविधान की मूल भावनाओं को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।

बिंदु 2- यह कि किसी प्रकरण को जो मीडिया या पत्रकार द्वारा किसी घटना को दिखाता/ लिखता है तो वह बेबाकी से तथ्यों के साथ दिखाता है। तो उस पर प्रश्नचिह्न लगाकर शासन द्वारा अपनी मशीनरी का प्रयोग कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को खत्म करने हेतु पत्रकार/मीडिया को डराने का प्रयास किया गया है उक्त  शासनादेश का सहारा लेकर दबे-कुचले, ईमानदार लोगों की समस्याओं के निराकरण हेतु आवाज उठाने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के सिपाहियों को भय दिखाकर उनकी स्वतंत्रता को छीनने का प्रयास किया जा रहा है।

बिंदु 3- यह कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 16 अगस्त 2023 को शासनादेश जारी करके लिखा गया है कि मीडिया द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर नकारात्मक समाचार प्रकाशित कर शासन एवं जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है जोकि यह पूर्णतया असत्य है जबकि मीडिया/पत्रकार द्वारा न्यायपालिका के सामने तथ्यों को रखा गया है जिसको न्यायपालिका ने भी माना है और समय-समय पर स्वत संज्ञान लिया है। न्यायपालिका ने मीडिया को संविधान का चौथा स्तंभ माना है यह मीडिया/पत्रकार ही हैं। इसको खत्म करने का मतलब तानाशाही व्यवस्था को जन्म देकर लोकतंत्र को खत्म करने जैसा है न्याय पालिका ने शायद ही मीडिया की कभी आलोचना नहीं की है लेकिन सरकारों जिला प्रशासन के बारे में कितनी बार टिप्पणी कर बताया है कि कौन किसकी छवि धूमिल कर रहा है। इस शासनादेश से आमजन का पूरा नुकसान है इस शासनादेश से पत्रकारों के लिए भय पैदा कर दिया गया है जिससे पत्रकारों का हौसला हताश एवं निराश है।

माननीय आप से निवेदन है कि मीडिया/पत्रकारों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिये गये शासनादेश का निरस्त करने का आदेश पारित करने की कृपा की जाय।

विनोद कुमार सोनकर जिला अध्यक्ष बस्ती 

अजीत कुमार ब्लॉक अध्यक्ष हर्रैया

संतोष कुमार तहसील अध्यक्ष बस्ती

रुबी गौड़ सदस्य बस्ती

कन्हैया सदस्य बस्ती।

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