*समाज का आईना एवं आदर्श है पत्रकार : डॉ प्रेम त्रिपाठी*

" कलाम द ग्रेट न्यूज ब्यूरो चीफ जी पी दुबे "

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*समाज का आईना एवं आदर्श है पत्रकार : डॉ प्रेम त्रिपाठी*

👉पत्रकारों को सम्मानित किया ग्रामीण स्वास्थ सेवक वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रेम प्रकाश त्रिपाठी नें....

बस्ती 3 जनवरी 24.

पत्रकार समाज का आईना है, आदर्श है और यह जितना बेहतर होगा समाज उतना ही स्वच्छ बनेगा।

अंग्रेजी नववर्ष के अवसर पर बुधवार को कलवारी स्थित एक निजी रेस्टोरेंट के सभागार में “समय का सत्य और पत्रकारिता की मर्यादाएँ” विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रेम त्रिपाठी ने कहा कि सत्य को उजागर करने वाले पत्रकारिता का पथ कांटों भरा है। इसी पथ पर चलकर पत्रकार समय के सत्य को मर्यादा के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने विषय-वस्तु की अक्षरसः व्याख्या कर बताया कि सत्य सदैव सत्य ही रहता है पर समय के प्रभाव से बस नजरिया बदल जाता है। उन्होंने कहा कि शासक के पास अपना नेत्र नहीं होता वो दूसरों के नेत्र से राष्ट्र को देखता है और पत्रकारिता समाज का चक्षु है जो वर्तमान यथार्थ को अपनी लेखनी से उजागर करता है। डॉ राम अवतार ने कहा कि मर्यादा का पालन आवश्यक है इसलिए सत्य की कटुता से परहेज वर्तमान दौर का यथार्थ बन गया है। इस स्थिति में पत्रकारिता की भूमिका महती हो गई है। पत्रकारिता के ऊपर समाज के आदर्श को यथावत बरकरार रखने के साथ ही सत्ता को निरंकुश बनने से रोकने की दोहरी जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की भूमिका राजसत्ता पर अंकुश लगाने में है। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने में आप अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ बरकरार रखें। विपरीत परिस्थितियों में भी रहते हुए आप सत्य को सामने लाते हैं हम इसके लिए आपको शुभकामना देते हैं।

   संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि व लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता अशोक कुमार प्रभात ने कहा कि पत्रकारिता आज भी सत्य के साथ खड़ी है पर इसमें व्यावसायिकता का प्रवेश हो चुका है। जिसके कारण स्थिति में बदलाव आया है। वैसे पत्रकारिता का फलक बढ़ा है और जो खबर पहले चार दिन में सामने आती थी वो अब चंद मिनटों में दिख जाती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारो को लेखनी कुंदता की ऒर न बढ़े इसका भी ख्याल रखना होगा।

उन्होंने कहा कि सत्य का स्वरूप नहीं बदलता वो हर युग में एक समान रहता है। पत्रकारिता को सत्य का पहरेदार माना गया है और सत्य को उजागर करना ही पत्रकारिता धर्म है। उन्होंने कहा कि युग के अनुरूप पत्रकारिता में भी बदलाव आया है और यह आज उद्योग बन चुकी है। फिर भी इसकी विश्वसनीयता कायम है तो इसका सबसे बड़ा कारण सत्य ही है। सत्य के कारण ही मीडिया का जनजुड़ाव बरकरार है। वैसे बाजारू प्रवृत्ति के कारण नकारात्मक पत्रकारिता का दौर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया के इस दौर में बिना विश्लेषण के खबरों का प्रसारण हो रहा है। यूट्यूब चैनलों की बढ़ोतरी से अब खबर तुरंत मिल जाती हैं पर पहले आने की आपाधापी में सत्य से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य पीछे छूट रहे है। यह स्थिति स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विद्यमान है। उन्होंने कहा कि मूलतः पत्रकारिता की प्रक्रिया ऐसी होती है जिसमें तथ्यों को समेटने, उनका विश्लेषण करने फिर उसके बाद उसकी अनुभूति कर दूसरों के लिए अभिव्यक्त करने का काम किया जाता है।

   ग्रामीण पत्रकार एसोशिएशन के मण्डल महामंत्री दुर्गेश कुमार ओझा ने कहा कि भारत में आधुनिक पत्रकारिता का आगाज मिशन के साथ हुआ था, जो कालांतर में सत्ता सरंक्षक बनने के बाद अब विज्ञापन के कमीशन से बंध गई है। फिर भी पत्रकारिता से मर्यादा की अपेक्षा इसलिए हो रही क्योंकि यह आज भी सत्य का उद्धघाटन कर रहा है।

  पत्रकार श्रीकान्त मिश्र ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का छरण हुआ है पत्रकारिता भी इसे अछुती नहीं है। इस परिस्थिति में पत्रकारों का यह दायित्व है कि वे सत्य के साथ समझौता नहीं करें और चीजों का सही मूल्यांकन कर लोगों के सामने लाये। उनसे अपेक्षित भी है कि मानवीय मूल्यों के प्रति पत्रकारों को संवेदनशील होना चाहिए।

 पत्रकार राम कृपाल दूबे ने कहा कि बाजार के प्रवेश से पत्रकारिता की गरिमा गिरी है और एक पक्षीय खबर का प्रकाशन बढ़ रहा है।

पत्रकार शिव कुमार चौधरी ने बताया कि जिस तरह से समय के साथ सत्य के निर्धारण का मापदंड बदला है वैसे ही पत्रकारिता की मर्यादा बदली है।शोशल मीडिया के प्रवेश से इस मर्यादा में विखंडन आरम्भ हुआ है।

 पत्रकार आनन्द शुक्ल ने कहा कि जनसंचार और पत्रकारिता के घालमेल से स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही हैं।  पत्रकार मोहम्मद जावेद ने बताया कि तात्कालिक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही पत्रकारिता सत्य को प्रगट करती है।

 पत्रकार दीपक दूबे ने कहा कि सत्य को व्यक्त करने पर पहले भी पत्रकार उत्पीड़ित होते थे और आज भी यह दौर जारी है। 

 गोष्ठी को वरिष्ठ पत्रकार सुशील दूबे, जी पी दुबे,विजय गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार लाल, कृष्ण दत्त दूबे, विनय जायसवाल, संजय चौरसिया और अजमत अली ने भी सम्बोधित किया।

  अध्यक्षता करते हुए अभय दूबे सोनू ने कहा कि सच्चा पत्रकार हमेशा पत्रकारिता की गरिमा का ख्याल रखता है। यह प्रवृत्ति आज भी बरकरार है।

संगोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ जवाहिर लाल विश्वकर्मा ने कहा कि सत्य हमेशा सत्य होता है समय भले बदलता रहता है।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित  संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों ने आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की तस्वीर पर पुष्प अर्पण से किया।

अतिथियों का स्वागत डॉ अनिल कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन जिलाध्यक्ष डॉ लालजी आजाद ने किया। 

इस मौके पर मुख्य रूप से डॉ राम अवतार डॉ राम जीत चौधरी, डॉ एन के चौहान, डॉ सत्येन्द्र धर दूबे, डॉ नूरूल्लाह खान...... सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक मोजूद रहे।

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