हमें ऐसी मृत्यु प्राप्त करना चाहिए जिसके बाद हमें कई बार जन्म लेना न पड़े। डां कौशलेंद्र महराज*

 ब्यूरो चीफ जी.पी.दूबे*

हमें ऐसी मृत्यु प्राप्त करना चाहिए जिसके बाद हमें कई बार जन्म लेना न पड़े।  डां कौशलेंद्र महराज*

सोनहरा/ गोण्डा 

ग्राम सोनहरा बुधई पुरवा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।   कथावाचक डां कौशलेंद्र महराज ने कहा कि हमारे संस्कार हमें बताते हैं कि हम सुयोग्य हैं या अयोग्य हैं। हमारा बोलना, चलना, कर्म करना ये सब हमें बताता है कि हमारे लक्षण सुयोग्य हैं या अयोग्य हैं।हमारी संस्कृति में दो सबसे प्रिय पुराण है, रामायण और श्रीमद् भागवत। रामायण हमें जीना सिखाती है और भागवत हमें मरना सिखाती है। जीवन जीना सीख लिया तो भी कल्याण है और अगर जीवन जीना नहीं सीख पाए तो मरना तो सीख ही लो कि कैसे मरना चाहिए। हमें ऐसी मृत्यु नहीं मरना चाहिए जिसके बाद हमें कई बार मरना पड़े। इसीलिए इस प्रकार मरना चाहिए कि फिर दोबारा मरना न पड़े। ऐसी मृत्यु सिर्फ मनुष्य योनि में ही मिल सकती है। इस मृत्यु को सुधारा कैसे जाये ये भागवत सिखाती है। हमें तीन चीजों पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए – आँख कान और वाणी। ये तीनों पाप के द्वार है। जिनका अपनी आँखों पर नियंत्रण नहीं है वो आँखों से पाप करते है, जिनका अपने कानों पर नियंत्रण नहीं है वो वो कानों से पाप करते है और जिनका अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं होता है वो वाणी से पाप करते हैं। जिनका अपनी आँखों पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी देखते हैं, जिनका अपने कानों पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी सुनते है और जिनका अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी बोलते हैं। और इन सब मैं प्रमुख हैं हमारी आँखें क्यूंकि आँखें जो देख लेती हैं वही सुनना चाहती है वही बोलना चाहती हैं। जब तक हमारे जीवन में मोबाइल नहीं था तब तक जीवन बहुत सुन्दर था। और जब से मोबाइल आया है इसका हमने ग़लत उपयोग किया है। अगर आज हम सोशल मीडिया पर कुछ अच्छा भी देखने जाते है तो न चाहते हुए भी हमें ग़लत चीजें दिख जाती हैं। माता पिता हमें सिर्फ कोई वस्तु दे सकते हैं लेकिन उसका उपयोग करना है या अनुपयोग करना है ये आपके हाथ में है। भगवान ने हमें सत्संग दिया है अब इस सत्संग से हमें कौन से मोती चुनने हैं कौन से हीरे चुनने है कौन से वो बिंदु चुनने है जिससे मेरा जीवन सुधर जाए, मेरी मृत्यु सुधर जाये ये हम पर निर्भर करता है।इसके बाद महाराज के सानिध्य में सभी भक्तों ने श्री कृष्णा की बाल लीलाओं की कथा श्रवण किया मुख्य यजमान शोभाराम विश्वकर्मा उर्मिला विश्वकर्मा विनोद मनोज विनय राधेश्याम शिवराम सूरज चंदन ओमकार नीरज अमन शिवा पंकज तिवारी प्रमोद पाण्डेय रोहित तिवारी श्याम बाबू तिवारी आदि बहुत संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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