*महराजगंज (बस्ती )* आंवला नवमी का पर्व रविवार को मनाया गया। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की भारतीय संस्कृति का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों
का नाश होता है।
अक्षय नवमी के दिन आंवला पेड़ की पूजा, दान-पुण्य व आंवला पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने-खिलाने से अक्षय पुण्य फल मिलता है।
मान्यता है कि अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक आंवला पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसीलिए उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और शांति की कामना से आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है।
आंवला के पेड़ को अक्षय शुभदायक, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक इस पेड़ की जड़ में देवताओं का वास होता है। इस दिन पूजन और दुग्धाभिषेक के बाद संध्या काल में घी का दीपक जलाने से सभी पापों से मुक्ति, आरोग्यता, सौभाग्य और सुख-समृद्धि का लाभ मिलता है।
कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन गंगा स्नान करने से भी अक्षय पुण्य मिलता है। आंवला को आयु और आरोग्यवर्धक भी माना जाता है। अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी को सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागृत होंगे। इस दिन श्रद्धालु देवोत्थान एकादशी व्रत भी करते हैं। साथ ही इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
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