*रोजगार एवं पोषण हेतु अपनाए- मशरूम उत्पादन*

*रोजगार एवं पोषण हेतु अपनाए- मशरूम उत्पादन*

"कलाम द ग्रेट न्यूज / ब्यूरो चीफ जी.पी.दूबे"

 बस्ती 13 जनवरी 25.

कृषि में युवाओं को बनाए रखने के लिए उन्हें आकर्षित करने के उद्देश्य से आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज ,अयोध्या उत्तर प्रदेश से संचालित *कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती* पर *आर्या परियोजना* के अंतर्गत सात दिवसीय *मशरूम उत्पादन तकनीक विषय* पर रोजगारपरक प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 07से 13 जनवरी,2025 में किया गया। जिसमें जनपद के 20 नवयुवक एवं युवतियों ने प्रतिभाग लिया। प्रशिक्षण के अंतिम दिन  केंद्राध्यक्ष डॉ एस एन सिंह ने  प्रशिक्षणर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि 

 बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि गाॅव स्तर पर वेरोजगार नवयुवकों एवं नवयुवतियों को रोजगार उपलब्ध करायें जाए जिससे उनके शहरों की ओर बढ रहे पलायन को रोका जा सके।  मशरूम उत्पादन आज के समय में एक ऐसा माध्यम है जो न केवल पोषण और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि आर्थिक प्रगति और रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करता है यह एक ऐसा क्षेत्र है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर मुनाफा देने में सक्षम है आधुनिक कृषि प्रणाली और बदलते खान-पान के परिदृश्य में मशरूम उत्पादन की बढ़ती मांग ने इस छोटे और बड़े किसानों के लिए एक प्रभावी व्यवसाय बना दिया है सही जानकारी तकनीकी प्रशिक्षण और सरकारी सहायता का लाभ उठाकर कोई भी व्यक्ति इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है यह प्रशिक्षण उन सभी किसानों युवाओं और उद्यमियों को प्रेरित करता है जो स्वरोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं मशरूम उत्पादन एक छोटे प्रयास से बड़े परिणाम प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रशिक्षण कोर्स कोआर्डिनेटर डॉ प्रेम शंकर ने प्रशिक्षणर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जनपद बस्ती में 14 ब्लॉकों में कृषि विज्ञान केंद्र के सतत प्रयास से प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से जनपद में  वृहद पैमाने पर मशरूम उत्पादन की खेती कर बेरोजगार कृषक एवं युवा अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र के लगातार प्रयास से जनपद के तीन ब्लॉक हरैया ,कप्तानगंज एवं बस्ती सदर *मशरूम हब* के रूप में स्थापित हो गए हैं यहां सैकड़ो की संख्या में कृषक परिवार मशरूम की खेती कर अपना जीवोपर्जन कर रहे हैं। केंद्र के कृषि वानिकी वैज्ञानिक डॉ पी के मिश्रा  ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान मशरूम उत्पादन पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि मशरूम को विभिन्न नाम जैसे खुंब, छत्रक,धरती का फूल आदि नाम से जाना जाता है यह एक प्रकार की खाने योग्य फफूंद है इसमें क्लोरोफिल नहीं होता है मशरूम में अच्छी गुणवत्ता की प्रोटीन, विटामिन तथा मिनरल्स पाया जाता है यह डायबिटीज और शुगर के रोगियों के लिए एक आदर्श भोजन है इसकी खेती के लिए अधिक जमीन व खेतों की आवश्यकता नहीं होती है इसे घर के अंदर खाली कमरो,हाल, सेड,छप्पर में आसानी से उगाया जा सकता है भूमिहीन,गरीब,बेरोजगार युवको हेतु रोजगार का अच्छा जरिया है हमारे प्रदेश में मुख्यता बटन मशरूम ,दूधिया मशरूम एवं डिगरी  मशरूम के खेती की जाती है । यह कम खर्च एवं कम जगह खेती बिना खेत के में खेती क्योंकि मशरूम प्रति इकाई क्षेत्रफल पर समय में सस्ती एवं सर्वाधिक उपज देने वाली फसल है । आय का उत्तम स्रोत है। केंद्र के वैज्ञानिक वी बी सिंह  ने मशरूम उत्पादन के आय - व्यय के बारे में जानकारी दी। केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक आर बी सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान अपने संबोधन में प्रशिक्षणाथियों को अस्थाई झोपड़ी  निर्माण के बारे में जानकारी दी। बटन मशरूम की खेती के लिए कंपोस्ट एक अहम हिस्सा  है जो कि लगभग एक माह में तैयार होती है।

 *केंद्र की गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ अंजलि वर्मा* ने प्रशिक्षण के दौरान  प्रशिक्षणर्थियों को  मशरूम से मशरूम से विभिन्न प्रकार के व्यंजन की रेसिपी के बारे में विस्तृत चर्चा की। *शस्य वैज्ञानिक हरिओम मिश्र* ने बताया कि बटन मशरूम की खाद तैयार करने में प्रयोग होने वाली पूरक सामग्री जैसे भूसा, चोकर, मुर्गी की खाद, यूरिया, सुपर ,पोटाश, कैन खाद आदि के बारे में बताया। प्रशिक्षण के अंत में प्रशिक्षणाथियों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया।

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