*जनपद बाराबंकी में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 9 ब्लॉकों में चलेगा अभियान।*

 *जनपद बाराबंकी में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 9 ब्लॉकों में चलेगा अभियान।* 

*सीएमओ सभागार में दिनांक 07 फरवरी 2025 को आयोजित हुई मीडिया कार्यशाला*। 

*22 लाख लोगों को घर-घर जाकर खिलाई जाएंगी फाइलेरिया से बचाव की दवा।*

--------- "कलाम द ग्रेट न्यूज / रिपोर्टर रीता देवी"----------

*बाराबंकी : 07 फरवरी।* 

लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) एक गंभीर रोग है, जो आजीवन विकलांगता का कारण बन सकता है। इसका एकमात्र बचाव फाइलेरिया रोधी दवाएं (एल्बेंडाजॉल, डी.ई.सी. एवं आइवरमेक्टिन) का सेवन करना है। सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) के तहत 10 फरवरी से 25 फरवरी तक स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर निःशुल्क दवा खिलाएंगे। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है, जो फाइलेरिया संक्रमण को रोकने में मदद करती है।

यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवधेश कुमार यादव ने सीएमओ सभागार में आयोजित जनपद स्तरीय मीडिया कार्यशाला में कहीं। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग के लक्षण मच्छर काटने के 5 से 15 वर्षों के बाद नजर आते हैं। एक बार बीमारी हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है, ऐसे में बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। 10 फरवरी से 25 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान में सभी नागरिक सहयोग करें। खुद भी दवा खाएं और अपने परिवार व आसपास के लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। यह दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को खानी है। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया गया कि वे इस अभियान की जानकारी व्यापक स्तर पर साझा करें, ताकि कोई भी व्यक्ति दवा खाने से वंचित न रह जाए और आने वाली पीढ़ियां इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें।

वीबीडी नोडल अधिकारी डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया रोग मुख्य रूप से शरीर के लटकने वाले अंगों को प्रभावित करता है, जैसे हाथ, पैर, महिलाओं के स्तन और पुरुषों के अंडकोष (हाइड्रोसील)। यदि समय पर बचाव नहीं किया गया, तो इन अंगों में असामान्य सूजन हो सकती है। वर्तमान में जनपद में 805 हाइड्रोसील और 3501 लिम्फोडिमा के मरीज चिन्हित किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष यह अभियान जनपद के 9 ब्लॉकों देवा, फतेहपुर, रामनगर, दरियाबाद, राम सनेही घाट (बनीकोडर), सिद्धौर, हरख, जाटा बरौली और अर्बन क्षेत्र में चलाया जाएगा। पिछले साल के अभियान के बाद किए गए नाइट ब्लड सर्वे में इन ब्लॉकों में माइक्रो फाइलेरिया रेट एक से अधिक पाया गया था, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह दर एक से कम थी।

जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर ने बताया कि जनपद की कुल जनसंख्या 38 लाख है जिसमें 9 ब्लाकों के दो वर्ष की आयु से अधिक 22 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान में 1795 टीमों का गठन किया गया है और निगरानी के लिए 299 सुपरवाइजर तैनात किए गए है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता दवा अपने सामने खिलाएंगे और किसी भी हालत में दवा बाद में खाने या घर ले जाने के लिए नहीं दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि दवा खाली पेट न खाएं। दवा स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही पूरी खुराक सेवन करे। दवा खाने के बाद यदि खुजली, चकत्ते या जी मितलाने जैसी परेशानी हो, तो इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु पहले से मौजूद थे, जो अब नष्ट हो रहे हैं। यह एक शुभ संकेत है।  किसी भी समस्या के लिए प्रत्येक ब्लॉक में बनी रैपिड रिस्पॉन्स टीम से संपर्क किया जा सकता है।

इस मौके पर पाथ के प्रतिनिधि, पीसीआई के प्रतिनिधि और जनपद के वरिष्ठ मीडियाकर्मी मौजूद रहे।

 

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